चावल के बदले मक्का, दाल व कपास उगाने पर पांच साल तक सरकार खरीदेगी पूरी फसल

नई दिल्ली। चावल के बदले मक्का, कपास, और दाल की खेती करने पर सरकार इन किसानों की पूरी फसल अगले पांच साल तक खरीदने की गारंटी देगी। यह खरीदारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जाएगी। शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि सरकार इस खरीदारी के लिए पूरी तरह से तैयार है और अगले सीजन से इस स्कीम की शुरुआत होने जा रही है। देश भर के लिए यह स्कीम लागू होगी।

उन्होंने बताया कि चावल की खेती से पानी का स्तर काफी नीचे जा रहा है, खासकर पंजाब व हरियाणा में भू-जल का स्तर काफी नीचे चला गया है। चावल की खेती में पानी की खपत भी काफी अधिक होती है जबकि मक्का, दाल व कपास की खेती में पानी की खपत अपेक्षाकृत काफी कम है। इन दिनों एथनाल बनाने के लिए मक्के की काफी मांग निकल रही है और सरकार एथनाल निर्माण के लिए चावल के इस्तेमाल को रोकना चाहती है।

घरेलू स्तर पर दाल का उत्पादन खपत के मुकाबले कम होने से भारत ने वर्ष 2023 में लगभग 29 लाख टन विभिन्न दालों का आयात किया है। दाल का उत्पादन बढ़ने से किसानों को लाभ होने के साथ भारत दाल उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बन सकेगा। सरकार मसूर, उड़द व तुअर दाल की खेती करने पर पूरी फसल को पांच साल तक एमएसपी पर खरीदने की पूरी गारंटी देगी।

सरकार की इस योजना से जुड़ने वाले किसानों को एक शपथ पत्र देना होगा कि उन्होंने चावल की खेती छोड़ मक्का, कपास और दाल की खेती शुरू की है। सरकार चाहेगी तो किसानों के खेत पर जाकर उनके शपथ पत्र की जांच भी कर सकती है। फसल बीमा योजना से भी सरकार को इन किसानों की खेती का डाटा मिलता रहेगा। इस योजना से जुड़ने वाले किसानों को सरकारी पोर्टल पर पंजीयन कराना होगा।

सरकारी एजेंसी नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन (एनसीसीएफ) व नेशनल एग्रीकल्चर कोपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नेफेड) के साथ उनकी पूरी फसल की खरीद का अनुबंध किया जाएगा। ये दोनों एजेंसियां ही किसानों की फसल को खरीदेंगी। गोयल ने बताया कि सरकार का प्रयास है कि उपभोक्ता व किसानों के बीच संतुलन कायम रहे। मतलब किसानों को भी फसल का सही दाम मिले और उपभोक्ता को भी वह महंगा नहीं लगे।

उन्होंने बताया कि तभी उन्होंने एक लाख टन प्याज के निर्यात की छूट दी है। ताकि किसानों को प्याज की सही कीमत मिलती रहे और जरूरत पड़ेगी तो और अधिक निर्यात करने की छूट दी जा सकती है, लेकिन अगर घरेलू स्तर पर कीमत एक स्तर से अधिक बढ़ने लगेगी तो निर्यात छूट वापस ले ली जाएगी।