रायपुर, 07 मार्च। आवारा पशुओं के रेस्क्यू कर उनकी जान बचाने, खासतौर पर श्वानों के कल्याण और इलाज के लिए रायपुर में संचालित समर्पित संस्था वाटिका एनिमल सेंचुरी द्वारा परम श्रद्धेय युग युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के श्री चरणों में सादर वंदन, अनुनय पत्र लिखकर कर निवेदन है कि गुरूवर अपने प्रवचनों में जीव हत्या रोकने और समस्त जीवों के कल्याण एवं रक्षा, संरक्षण पर जागरूक विचार को सुधिजन तक पहुंचाया जाये। संस्था गुरुवर से नम्र निवेदन करती है कि अपने प्रवचनों में सभी सजीव प्राणियों के प्रतिए विशेष रूप से शहरी क्षेत्र में जीवन गुजार रहे स्ट्रीट श्वानों के प्रति दया भाव रखकर हिंसा और अत्याचार खत्म करने के लिए संदेश देंगे तो हमें पूर्ण विश्वास है की मानव जीवन में जागरूकता बढ़ेगी और मूक प्राणी बिना मानव हिंसा और अत्याचार के जीवन गुजार सकेंगे।
यह पत्र हमारे देश में शहरी क्षेत्र में रहने वाले श्वानों जिन्हें हम स्ट्रीटडॉग्स कहते हैं, के प्रति बढ़ती हुई हिंसा और अत्याचार की तरफ आप गुरुवर का ध्यान आकर्षित करने के लिए लिख रहे हैं। हमारी संस्था जानवरों, विशेष रूप से श्वानों के कल्याण और इलाज के लिए रायपुर छत्तीसगढ़ में कार्यरत है। हमारे द्वारा संचालित वाटिका एनिमल सेंचुरी में वर्तमान में लगभग 200 बीमार, घायल, लकवाग्रस्त कुत्ते हैं, वह अभी तक हम 9500 से भी अधिक श्वानों का रेस्क्यू और इलाज कर चुके हैं।
विगत कुछ वर्षों में इन श्वानों के प्रति हमारे देश में नफरत पैदा हुई है। जिससे इन्हें जिंदा मार दिया जाता है, इन पर तेजाब फेंक दिया जाता है, अन्यथा पीटा जाता है इत्यादि। ऐसी कई घटनाएं प्रतिदिन हिंदुस्तान के प्रत्येक राज्य में हो रही हैं।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि इनमें से कई श्वान आक्रामक हो जाते हैं जिसका मुख्य कारण शहरों में सफाई व्यवस्था चालू होने के बाद इनके लिए खाने की कमी होना है। जिन क्षेत्रों में कॉलोनी में कुछ दयालु और जीवों का महत्त्व समझने वाले लोग इन्हें खाना देते हैं वहां पर इनमें आक्रामकता कम पाई गई है। हमारे देश के पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 भी प्रावधानित करते हैं कि रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन या अपार्टमेंट ओनर एसोसिएशन या क्षेत्र के स्थानीय निकाय परिसर उस क्षेत्र में रहने वाले सामुदायिक पशुओं को खिलाने के लिए आवश्यक व्यवस्था करेंगे। श्वानों को स्थानीय निकायों को एंटी रेबीज वेक्सिन लगाना है और नसबंदी करना है। नसबंदी से भी आक्रमकता कम होती है। हिंसा की जगह नागरिकों को स्थानीय निकायों से सहयोग लेना चाहिए।
महावीर के बहुमूल्य सिद्धांतों के अलावा हमारे देश का संविधान भी बताता है कि जंगलों, झीलों, नदियों और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना और जीवित प्राणियों के प्रति दया रखना प्रत्येक नागरिक का यह मौलिक कर्तव्य है।
हमने महावीर के जियो और जीने दो के सिद्धांत के विपरीत जीवन शैली बना ली है। आप गुरुवर से हमारी संस्था नम्र निवेदन करती है कि अपने प्रवचनों में सभी सजीव प्राणियों के प्रति, विशेष रूप से शहरी क्षेत्र में जीवन गुजार रहे स्ट्रीट श्वानों के प्रति दया भाव रखकर, हिंसा और अत्याचार खत्म करने के लिए संदेश देंगे तो हमें पूर्ण विश्वास है की मानव जीवन में जागरूकता बढ़ेगी और मूक प्राणी बिना मानव हिंसा और अत्याचार के जीवन गुजार सकेंगे।
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