तुलसी विवाह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो तुलसी माता के विवाह शालिग्राम भगवान से हुआ था। यह विवाह प्रकृति और ईश्वर के बीच के पवित्र बंधन का प्रतीक है।
महत्व:
तुलसी को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है, जो धन, समृद्धि, सुख और शांति की देवी है।
घर में तुलसी का पौधा लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है।
शालिग्राम शिला को विष्णु का अवतार माना जाता है, जो सभी देवताओं के मुखिया हैं।
तुलसी विवाह के दिन इन दोनों की पूजा करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि:
तुलसी के पौधे को अच्छी तरह से साफ करें और उसकी पूजा करें।
तुलसी के पौधे को गंगाजल से स्नान कराएं।
तुलसी के पौधे को फूलों और रोली से सजाएं।
शालिग्राम शिला को भी अच्छी तरह से साफ करें और उसकी पूजा करें।
शालिग्राम शिला को गंगाजल से स्नान कराएं।
शालिग्राम शिला को फूलों और रोली से सजाएं।
विधि-विधान से तुलसी और शालिग्राम का विवाह संपन्न करें।
विवाह के दौरान मंत्रों का जाप करें।
विवाह के बाद तुलसी और शालिग्राम को प्रसाद चढ़ाएं।
नियम:
तुलसी विवाह के दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है।
व्रत रखने से मन शुद्ध होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
दान करना बहुत पुण्यदायी होता है।
आप अपनी सामर्थ्य के अनुसार किसी भी चीज का दान कर सकते हैं।
तुलसी विवाह के दिन तुलसी दल नहीं ले जाना चाहिए।
मांस, मछली, अंडा और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस दिन शुद्ध सात्विक भोजन करना चाहिए।
किसी से झगड़ा न करें और किसी से भी बहस करने से बचें।
शादी के दिन नकारात्मक विचारों से बचें और पूरी श्रद्धा से पूजा करें।
तुलसी विवाह 2024 की तिथि:
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की द्वादशी तिथि 12 नवंबर, मंगलवार को शाम 4 बजकर 02 मिनट पर शुरू हो रही है।
यह तिथि बुधवार, 13 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी।
उदया तिथि के अनुसार, 13 नवंबर को तुलसी विवाह मनाया जाता है।
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