Taste Of Indore: मालवी जुबां पर छाने लगा डोडा चटनी और सिंधी कढ़ी-चावल का स्वाद

इंदौर । सिंध प्रांत से विस्थापित होकर सिंधीभाषी जब भारत आए तो वे अपने साथ केवल वहां की संस्कृति, सभ्यता और भाषा-बोली ही नहीं लाए बल्कि खानपान के जायके भी लेकर आए। विस्थापन के दर्द के बीच कुछ अच्छा भी हुआ और वह था खाने में नवाचार। जिसके पास जिस अनाज का आटा था, जो सब्जी-मसाले थे, जो संसाधन मुहैया हुए उससे उसने व्यंजन बनाए और इसी तरह बनने वाले तमाम व्यंजनों में से एक है सिंधी डोडा।

सिंध का पारंपरिक व्यंजन

मक्का, ज्वार या चावल के आटे से बनने वाला यह एक ऐसा व्यंजन है जो स्वाद और सेहत दोनों का ही तालमेल लिए है। यूं तो यह घरों में बनने वाला व्यंजन है पर अब इसकी महक बाजार में आने लगी है और इसे बाजार तक पहुंचाने का कार्य रोहित पोपटानी और उनकी महन सोनम ने किया है। भाई-बहन की इस जोड़ी ने मालवा में सिंध के असल जायके को परोसने का बीड़ा उठाया। इसकी शुरुआत पहले एसजीएसआइटीएस के बाहर गाड़ी लगाकर की। करीब डेढ़ वर्ष पहले पलासिया में मांगीलाल दूधवाले के पास वाली गली में सिंधी फूड लाटरी के नाम से स्टार्टअप शुरू किया और यहां कई व्यंजन परोसना शुरू किया। सिंधी डोडा चटनी के अलावा कोकी, दही, पापड़, दाल पकवान, सेयल फुलका, सिंधी कढ़ी-चावल, चहरा फुलका झळल, माजून आदि परोस रहे हैं।

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रोहित कहते हैं कि इंदौर के लोग खाने के शौकीन हैं इसलिए यहां के लोगों को सिंधी पारंपरिक भोजन की दावत देने का निर्णय लिया। कोशिश यही है कि लोगों को असल स्वाद से रूबरू कराया जा सके ताकि सिंधी व्यंजन और संस्कृति के बारे में ज्यादा लोग जान सकें। व्यंजन की बात करें तो मक्का, ज्वार या चावल के आटे से बनने वाला डोडा हम चावल के आटे से बनाते हैं। इसमें टमाटर, प्याज, हरीमिर्च, धनिया पत्ती, नमक, लालमिर्च आदि डालकर उसकी रोटी बनाई जाती है। इसे दो तरह की चटनी के साथ खिलाया जाता है। एक चटनी टमाटर की और दूसरी धनिये की बनती है।

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खास तरीके से बनती है कढ़ी

इंदौरी जिस दूसरे व्यंजन को बहुत पसंद कर रहे हैं वह है सिंधी कढ़ी-चावल। अन्य प्रांत में जहां कढ़ी दही या छाछ की बनती है वहीं सिंधी कढ़ी में यह दोनों ही नहीं होता। बेसन को सेंककर उसमें टमाटर की प्यूरी मिलाई जाती है और कुछ मसालों के साथ उसमें बघार लगता है। इस कढ़ी में खटाई लाने का काम इमली करती है और इसका स्वाद कमल ककड़ी, सहजन की फली, भिंडी, गोभी, शिमला मिर्च, अरबी और गाजर बढ़ाती है।


वर्तमान में इसमें खटाई के लिए कैरी या कोकम का भी उपयोग किया जाने लगा है लेकिन मूल रूप से इमली ही डाली जाती है इसलिए हम भी इमली का ही उपयोग करते हैं। चूंकि शहर के लोगों को मिठाई का भी बहुत शौक है इसलिए सिंधी मीठे पकवानों में से एक माजून भी बनाया जाने लगा। माजून एक ऐसी मिठाई है जो सिंधी परिवारों में हर शुभ अवसर पर बनाई जाती है फिर चाहे सगाई-शादी हो या फूड फेस्टिवल या फिर सर्दी का मौसम।


वैसे सर्दी के मौसम में इसे बहुत बनाया जाता है क्योंकि इसे पचाने के लिए सर्दी का मौसम ही सबसे माकूल भी है। घीदार मावे में खसखस, ढेर सारे सूखे मेवे, नारियल का बूरा, शकर और घी डालकर तैयार की जाने वाला माजून कुछ लोग हलवे की तरह ही खाना पसंद करते हैं तो कुछ इसे बेसन चक्की की तरह चौकोर आकार में काटकर परोसते हैं।

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