अनोखी शादी : रेलवे वेटिंग रूम में हुई हल्दी की रस्म, बाइक पर बैठकर पहुंची दुल्हन, साक्षी बने सांसद

18 वर्ष की उम्र में पिता की जगह संभाली जिम्मेदारी

बैतुल। रेलवे का वेटिंग हाल और नजारा विवाह रस्म का देखने और सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगेगा। लेकिन, यह नजारा है बैतूल रेलवे स्टेशन का, जहां पिछले 10 वर्षों से कुली का काम कर रही दुर्गा की शादी की रस्म निभाई जा रही है और इसका साक्षी रहा पूरा रेलवे स्टाफ और समाज सेवी, सामाजिक बन्धु। बेसहारा दुर्गा की शादी का बीड़ा इन्होंने ही उठाया और आज वह क्षण भी आ गया जब दुर्गा के हाथ पीले करने के लिए शादी कि रस्म निभाई गई और आज दुर्गा की शादी भी हो जाएगी।

18 वर्ष की उम्र में पिता की जगह संभाली जिम्मेदारी

दरअसल, दुर्गा की कहानी कुछ ऐसी है कि अपने परिवार को संभालने के लिए जी तोड़ मेहनत करने वाली दुर्गा के लिए सहानूभूति की एक नहीं बल्कि कई हाथ एकसाथ खड़े हो गए। किसी समय बैतूल रेलवे स्टेशन पर मुन्ना बोरवार नामक कुली काम करते थे। उन पर तीन जवान बेटियों के पालन पोषण की जिम्मेदारी थी। लेकिन, एक दिन एक दिन मुन्ना के पैरों ने जवाब दे दिया और वे काम करने काबिल नहीं रहे। ऐसे में परिवार के समाने गृहस्थी कौन चलाए यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया था। 18 साल की जवान बेटी दुर्गा ने पिता की जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया।

पिता के कुली का बिल्ला अपने नाम करने के लिए उसने प्रयास शुरू किया। लगातार 2 वर्ष चक्कर लगाने के बावजूद उसे बिल्ला नहीं मिल पाया। आखिर बैतूल में रेल संघों से जुड़े पदाधिकारी अशोक कटारे और वीके पालीवाल के प्रयास से दुर्गा को जिम्मेदारी मिल गई और वह बैतूल रेलवे स्टेशन पर कुली के तौर पर काम करने लगी। साल 2013 से दुर्गा बैतूल रेलवे स्टेशन पर कुली का काम कर रही है।

 गुरूवार को दुर्गा के विवाह की सभी रस्म रेलवे विभाग के ही कार्मिक भवन में आयोजित की गई। जहां बाईक पर सवार होकर जहां दुर्गा विवाह स्थल पर पहुंची तो दुल्हा भी पूरे रस्मों रिवाज के साथ बारात लेकर विवाह स्थल पर पहुंचा। इस दौरान कार्यक्रम में सांसद डीडी उईके एवं बैतूल विधायक हेमंत खण्डेलवाल सहित समस्त रेलवे स्टॉफ और समाजसेवी भी उपस्थित हुए। जिन्होंने वर और वधू को शुभ आशीर्वाद प्रदान कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

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