डॉ.रवि जायसवाल की एक और बड़ी उपलब्धि

नो कीमो-नो सर्जरी, केवल टेबलेट से दुर्लभ किस्म के चौथे स्टेज के लग्स कैंसर का सफल इलाज

(अंबिकापुर निवासी सुशील खत्री को केवल एक माह के इलाज के दौरान ही हुआ चमत्कारिक लाभ, टाटा मेमोरियल हास्पिटल से निराश होकर लौटे थे सुशील)

रायपुर,29 फरवरी I मध्य भारत के जाने माने कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ.रवि जायसवाल कैंसर चिकित्सा क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए चौथे स्टेज के लग्स कैंसर का सफल इलाज मुख से ली जाने वाली टारगेटेड गोली के द्वारा कर रहे हैं, 01 माह के इलाज के दौरान ही चौथे स्टेज के लग्स कैंसर से पीड़ित तथा टाटा मेमोरियल हास्पिटल से निराश होकर लौटे अंबिकापुर निवासी सुशील खत्री को चमत्कारिक लाभ मिला तथा बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं। मध्य भारत का यह पहला प्रकरण है, जिसमें चौथे स्टेज के दुर्लभ किस्म के लग्स कैंसर का इलाज बिना कीमो-बिना सर्जरी केवल मुख से खाने वाली गोली के द्वारा सफलतापूर्वक किया जा रहा है।

कैंसर चिकित्सा के क्षेत्र में कम समय में बड़ी पहचान बनाने वाले सुप्रसिद्ध कैंसर विशेषज्ञ डॉ.रवि जायसवाल वर्तमान में रामकृष्ण केयर हास्पिटल रायपुर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उन्होने अब तक हजारों कैंसर मरीजों का सफल इलाज कर उन्हें नया जीवन दिया है। यहॉं उल्लेखनीय है कि कैंसर चिकित्सा की प्रचलित व सफल उपचार की महत्वपूर्ण पद्धति सर्जरी व कीमोथेरेपी है, किन्तु कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव मरीज के लिए अत्यंत पीड़ादायक होते हैं तथा मरीज को अनेक शारीरिक समस्याओं से जूझना पड़ता है। कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी व सर्जरी के दुष्प्रभावों का सामना किए बिना ही संभव हो जाए इसके लिए टारगेटेड थेरेपी एक नया विकल्प तलाशा गया है किन्तु इसके लिए डॉक्टर का चिकित्सकीय कौशल एवं उचित देखरेख की व्यवस्था अत्यधिक महत्वपूर्ण है। डॉ.रवि जायसवाल कैंसर चिकित्सा के क्षेत्र में नवाचार के लिए जाने जाते हैं, कैंसर रोगियों के हित में कुछ नया-कुछ अच्छा करने की उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का ही परिणाम है कि उन्होने कैंसर चिकित्सा में अनेक ऐसी उपलब्धियॉं हासिल की हैं, जो सम्पूर्ण मध्य भारत में इसके पूर्व देखने सुनने को नहीं मिली थी।

केवल 01 माह का इलाज और चमत्कारिक लाभ

छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले के निवासी सुशील खत्री दुर्लभ किस्म के चौथे स्टेज के लग्स कैंसर से पीड़ित थे, कोई भी कैंसर चौथे स्टेज पर पहुंचकर अत्यंत घातक हो जाता है, सुशील खत्री आक्सीजन पर थे, उनके लग्स में पानी भरा हुआ था, टाटा मेमोरियल हास्पिटल ने भी हाथ खडे़ कर लिए थे, जहॉं से निराश होकर सुशील खत्री वापस लौटे तथा डॉ.रवि जायसवाल से मुलाकात की। उन्होने मरीज का टेस्ट किया तो पता चला की, उनकी यह बीमारी बी.आर.ए.एफ.म्यूटेशन की वजह से फैल रही है, डॉ.रवि जायसवाल ने सुशील खत्री का इलाज प्रारंभ किया, उन्होने सर्जरी व कीमोथेरेपी से हटकर टारगेटेड थेरेपी के माध्यम से सुशील खत्री का इलाज शुरू किया तथा मुख से ली जाने वाली स्पेसिफिक टारगेटेड टेबलेट डाबाफेनिब एवं ट्रामेटिनिब की समुचित खुराक के साथ ही मरीज की उचित देखरेख व खानपान पर फोकस किया। डॉ.रवि जायसवाल का चिकित्सकीय कौशल रंग लाया तथा मध्य भारत के पहले प्रकरण के रूप में केवल 01 माह के इलाज में ही सुशील खत्री को चमत्कारिक लाभ हुआ तथा बेहतर परिणाम प्राप्त हुए। चौथे स्टेज के लग्स कैंसर से पीड़ित श्री खत्री के स्वास्थ्य में तेजी में सुधार हो रहा है तथा जांच रिपोर्ट में यह सामने आया है कि उनके फेफडे़ तेजी के साथ कैंसर मुक्त होने की ओर अग्रसर है।

गोलियों से ओवेरियन कैंसर भी किया ठीक

डॉ.रवि जायसवाल ने इसके पूर्व एक 42 वर्षीय महिला का चौथे स्टेज के ओवेरियन कैंसर को भी केवल टेबलेट के माध्यम से इलाज कर ठीक किया था, उक्त महिला को उक्त कैंसर दोबारा लौटा था महिला की हालत जटिल थी, डॉ.रवि ने महिला का इलाज विशेष टारगेटेड दवा ’’ओलापेरिब ’’ के द्वारा किया, निर्धारित समय तक टेबलेट के रूप में मुख से दवा का सेवन कराया गया, उक्त महिला पूर्ण रूप से कैंसर से मुक्त हो चुकी है, इसकी विस्तृत केस रिपोर्ट इंटरनेशनल जरनल में प्रकाशित हुई थी, जो कैंसर चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि है।

65 वर्षीय महिला का बोनमैरो ट्रांसप्लांट कर रचा इतिहास

डॉ.रवि जायसवाल ने एक 65 वर्षीय वृद्ध महिला का सफलतापूर्वक बोनमैरो ट्रांसप्लांट कर नया इतिहास रचा था, यहॉं यह उल्लेख करना लाजमी होगा कि 60 वर्ष से ऊपर की आयु के किसी व्यक्ति का बोनमैरो ट्रांसप्लांट करना अत्यंत रिस्की होती है तथा सामान्यतः डॉक्टर इस उम्र में यह प्रक्रिया नहीं करते किन्तु डॉ.रवि ने मरीज के परिजनों की सहमति पर यह कार्य सफलतापूर्वक कर दिखाया है।