KORBA NEWS: अंग्रेजी धरती पर कोरबा की बेटी मिताली ने बिखेरी स्वदेश की महक


0 इंग्लैंड में लहराया भारत की संस्कृति का उद्घोष करता भगवा ध्वज, जय श्रीराम और वीर शिवाजी के जयघोष से गूंजा मैनचेस्टर

कोरबा, 22 फरवरी। हम अपने घर-परिवार व शहर-गांव से चाहे कितने ही दूर क्यों न हों, पर माटी और मातृभूमि की महक हर पल साथ रहती है। यह याद दिलाती है कि हम सब भारतीय हैं और इस संस्कृति पर हमें गर्व है। कोरबा की होनहार बिटिया मिताली भी कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश कर रहीं हैं, जिन्होंने सात समुंदर पार इंग्लैंड (यूनाइटेड किंगडम) के खूबसूरत शहर लिवरपूल में भारत और भारतीय संस्कृति का उद्घोष करता भगवा ध्वज लहराया। चाहे वह रामलला के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक दिन रहा हो या बीते दिनों शिवाजी महाराज की जयंती का अवसर, उन्होंने अपने साथियों के साथ सांस्कृतिक एकता की ऐसी अनूठी झलक पेश की, मानों अंग्रेजी धरती कुछ क्षणों के लिए केसरिया थामें स्वयं भारत मां प्रकट हो गई हों।


स्कूल के दिनों में नगर निगम कोरबा के भारत महोत्सव में देशभक्ति से ओतप्रोत अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुति से कई भावविभोर कर चुकी मिताली वर्तमान में यूनाइटेड किंगडम (यूके) स्थित महानगर मैनचेस्टर में रहकर उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर रहीं हैं। अपनी शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधियों में सतत सक्रिय रहने वाली मिताली अब भी उसी समर्पण से भागीदार बन रही हैं। यही वजह है जो विदेशी धरती पर भी ऐसा एक भी मौका नहीं छोड़ती, जहां अपनी धरती और अपने आसमान की छटा बिखरनी हो। जिनमें अपनी कला साधना और कौशल के माध्यम से सहभागिता देते हुए भारतीयता की अपनी पहचान कायम करने का अवसर छिपा हो। यूके जाने के बाद उन्हें ऐसा पहला अवसर 22 जनवरी को मिला, जब अयोध्याजी में रामलला के भव्य मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा हुई। उस दिन वे भारतीय मित्रों के साथ भगवा ध्वज थामें निकली और लिवरपूल की सड़कों में जय श्रीराम का जयघोष गूंजता रहा। बीते दिनों वहां महाराष्टÑ मंडल के बैनर तले वीर शिवाजी की 394वीं जयंती मनाई गई, जिसमें शिवाजी महाराज के संघर्ष को प्रदर्शित करते नाट्य में अभियन और नृत्य की प्रस्तुति देकर सभी का मन मोह लिया।


केंद्रीय विद्यालय-2 से पढ़ाई, सेवा के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार


मिताली ने कक्षा 12वीं तक की शिक्षा केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-2 एनटीपीसी कोरबा से पूर्ण की। विद्यार्थी जीवन से ही सेवा व सामाजिक कार्यों में रुचि रखती हैं। उनके सेवाभावी कार्यों का ही परिणाम रहा, जो उहें राष्ट्रीय सेवा योजना में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वह साडा कॉलोनी जमनीपाली में रहने वाले केएन कॉलेज के प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपापुरकर व श्रीमती वैशाली बोपापुरकर की सुपुत्री हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी पुत्री पर गर्व है, जो भारतीय संस्कृति व हिन्दू सभ्यता की विजय पताका सारे विश्व में लहराने की ओर अग्रसर हैं।


लिवरपूल यूनिवर्सिटी से कर रहीं पीजी कंप्यूटर साइंस

एमआईटी पुणे से कंप्यूटर साइंस में बैचलर आॅफ इंजीनियरिंग (बीई) के बाद उन्होंने मल्टीनेशनल कंपनी में बड़े पैकेज पर एक वर्ष सर्विस किया। इस बीच और बड़ी पढ़ाई करने की उनकी कसक बाकी थी। यही वजह रही जो जॉब ब्रेक कर उन्होंने नया लक्ष्य तय किया। आगे की पढ़ाई का लक्ष्य लेकर उन्होंने यूनाइटेड किंगडम को चुना और करीब छह माह पहले वह उच्च शिक्षा प्राप्त करने यूनाइटेड किंगडम के मैनचेस्टर चली गर्इं। वे सितंबर से लिवरपूल यूनिवर्सिटी में पीजी कंप्यूटर साइंस की शिक्षा प्राप्त कर रहीं हैं। अपनी योग्यता के बल पर विदेश में वह कोरबा व छत्तीसगढ़ के साथ भारतवर्ष का नाम कर रहीं हैं।

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