गुरू की परिक्रमा की और चरणों में सिर झुकाया फ‍िर त्‍याग दिए शिष्‍य ने अपने प्राण

थरा गांव के गुल्लकी आश्रम पर संत बालक दास महाराज के दर्शन करने के लिए उनके श‍िष्‍य नंदी बाबा पहुंचे थे। उन्होंने अपने गुरू की परिक्रमा की और चरणों में सिर झुकाया। कुछ देर बाद जब सिर नहीं उठाया तो बालकदास बाबा ने सिर पर हाथ फेरा और उठाया तो नंदी बाबा अपने प्राण त्याग चुके थे।

परोसा गांव में था शिष्‍य का आश्रम

यहां बता दें कि शायद ही कहीं आपने ऐसा सुना होगा कि किसी शिष्य ने अपने अराध्य की परिक्रमा कर प्राण त्यागे हों। नंदी दास बाबा संत बालक दास महाराज के शिष्य थे और वर्तमान में परोसा गांव में आश्रम बनाकर ईश्वर का भजन और जन सेवा कर रहे थे।

गुरु के दर्शन के लिए आए थे

मंगलवार को वह अपने गुरु के दर्शन हेतु उनके आश्रम पर आए हुए थे, इस दौरान उन्होंने महात्मा बालक दास महाराज की परिक्रमा की और उनके चरणों में दंडवत प्रणाम किया। कुछ समय बाद जब नंदीबाबा खड़े नहीं हुए तो गुरु ने उनके सिर पर स्नेह रूपी हाथ फेरा तो तब तक उनका देहांत हो चुका थ।

श्रद्धालुओं का आश्रम पर तांता

इस घटना की जानकारी पाकर नंदी बाबा की भक्ति से अभिभूत श्रद्धालुओं का आश्रम पर तांता लगा गया। गुरु के समक्ष प्राण त्यागने वाले शिष्य नंदी बाबा को जिन लोगों ने देखा तो वह इस अद्भुत एवं अविश्वसनीय अकल्पनीय घटना के प्रति श्रद्धा भाव से नतमस्तक हो गए।

साधु वेश में अंतिम श्रृंगार गुरु ने किया

यह घटना आसपास के क्षेत्र में तुरंत फैल गई। जिसे सुनकर बड़ी संख्या में भीड़ एकत्रित हो गई। उक्त घटना के बाद संत बालक दास महाराज ने अपने शिष्य के समर्पित भाव के प्रति अभिभूत होकर नंदी बाबा के अंतिम संस्कार से पूर्व उनका साधु वेश का अंतिम श्रृंगार अपने हाथों से किया और उन्हें चंदन का टीका लगाया।

क्वारी नदी घाट पर अंतिम संस्कार

इस दौरान सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में नंदी बाबा का क्वारी नदी घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। ग्रामीण जितेंद्र सिंह का कहना था की गुरु का ऐसा महान भक्त ना कभी देखा और ना सुना है। धर्मेंद्र सिंह तोमर का कहना था कि दरअसल कलयुग में यह अनोखी घटना है कि गुरु के प्रिय शिष्य ने अपने गुरु के चरणों में प्राण त्यागे हों।

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