इंदौर । कवि और शायर यह बात गलत नहीं कहते कि प्यार की न कोई हद होती है, न ही सरहद। वैसे तो सरहद का मतलब लोग देश की सीमाओं से लगाते हैं, परंतु आज की स्टोरी में हम सरहद का मतलब दो राज्यों की सीमाओं से बताएंगे। दरअसल, व्यवहार, भाषा, संस्कृति, पहनावा, खानपान आदि की नजर से देखा जाए, तो दूसरे राज्य में रिश्ते बनाना कुछ अर्थों में विदेश में बसने जैसा ही होता है। इन्हीं भौगोलिक अंतर और परंपराओं की विविधता के बावजूद कुछ जोड़े ऐसे हैं, जिन्होंने प्रेम किया और उसे पूरे समर्पण से निभा रहे हैं। यूं तो आज वैलेंटाइन डे बीतने के साथ ही प्यार के इस सप्ताह का समापन हो जाएगा, परंतु शादी करके प्रेमियों ने अपने प्यार को हमेशा के लिए अमर कर लिया। आइए जानते हैं कैसे इंदौरियों ने इन सभी हदों से गुजरकर सरहदें पार करके अपने प्यार को शादी तक साकार किया। कैसे वर्षों के प्यार को पारिवारिक संघर्ष से निकालकर अपना बनाया।
उमा-जयेश
रेलवे की रफ्तार से शुरू हुई प्रेम कहानी
उमा मार्टिन आंध्र प्रदेश की रहने वाली हैं और जयेश मार्टिन इंदौर के। उमा भारतीय रेलवे में टीसी हैं जबकि जयेश मैकेनिकल विभाग में कार्यरत हैं। उमा बताती हैं कि हम दोनों की पहली मुलाकात वर्ष 2004 में मुंबई में हुई थी। उसके बाद से हम दोनों में बातचीत होने लगी। बातचीत के दौरान कब हम दोनों इतने करीब हो गए, पता ही नहीं चला। शादी के लिए मैंने घर में बात की, तो घर में कम परिवार और गांव में विरोध ज्यादा हुआ। मैं पढ़ाई के बाद से बाहर ही रह रही थी, तो आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र की दूरी से ज्यादा दिक्कत नहीं थी। जब हमने बताया कि हम दोनों करियर में सेट हैं, तो पापा ने कहा कि तुम्हें जो सही लगे वह करो, परिवार और गांव वालों को मैं देख लूंगा। वहीं जयेश के घर में लोग शादी के लिए आसानी से मान गए और साल 2019 में हमारी शादी इंदौर कोर्ट में हुई।
विपुल-निधि
बहनों ने निभाया वकील का किरदार, तब जीते केस
व्यवसायी विपुल गांधी गुजराती परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे शुरुआत से इंदौर में ही रहते हैं, जबकि उनकी पत्नी निधि गांधी मूलत: राजस्थान की रहने वाली हैं। वर्ष 1999 में निधि पढ़ाई के लिए इंदौर आ गई थीं। कक्षा 12 में दोनों कामर्स की ट्यूशन साथ में पढ़ते थे। हालांकि बैच अलग-अलग थे। इसके बाद बीकाम प्रथम वर्ष में दोनों को एक ही बैच मिली, तो मुलाकात हुई। तब दोनों ने प्रपोज किया और प्रेम कहानी की शुरुआत हो गई। जैसे-जैसे समय बीतने लगा, वैसे-वैसे दोनों पर करियर और शादी का दबाव बढ़ने लगा। विपुल का घर इंदौर में होने की वजह से विपुल ने अपनी बहन से निधि की दोस्ती कराई। तब निधि का विपुल के घर आना-जाना होने लगा। वहीं निधि की बहन से विपुल की बहन की दोस्ती हो गई। इस तरह दोनों का एक-दूसरे के घर आना-जाना होने लगा। जब शादी की बात चली, तो दोनों घरों में बहनों ने इन दोनों का रिश्ता जोड़ने की वकालत की। इस बीच विपुल के दादाजी ने निधि को पहले गुजराती सिखाने की शर्त रखी। इस पर निधि ने गुजराती सीखी भी। इसके बाद दोनों परिवारों को काफी समझाया गया, बात की गई, तब जाकर वर्ष 2006 में दोनों की शादी धूमधाम से हुई। विपुल के कुटुम्ब की दूसरी पीढ़ी में इनकी पहली लव मैरिज थी।
नवीन-वेदांगी
देवभूमि में मिले मप्र और उप्र के दिल
व्यवसायी नवीन योगराज इंदौर के रहने वाले हैं जबकि वेदांगी नारंग उप्र के लखनऊ की रहने वाली हैं। दोनों की पहली मुलाकात साल 2004 में हरिद्वार स्थित एक आश्रम में हुई थी। इसके बाद से दोनों में थोड़ी बातचीत शुरू हुई थी। दुर्भाग्य से उसी साल वेदांगी के पिता का देहांत हो गया। शादी से पहले वेदांगी का नाम ऋचा था। गुरु के कहने पर इनका नाम वेदांगी हो गया। अपनी प्रेम कहानी के साथ ही नवीन साल 2006 में परास्नातक की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए। वापस इंदौर आकर नवीन पैतृक व्यवसाय संभालने लगे। जब शादी की उम्र आई, तो नवीन ने अपने पिता को पूरी बात बताई। इसके लिए इन्होंने आश्रम वाले गुरुजी से बात की। पिता न होने की स्थिति में ऋचा की देखरेख करने वाले गार्जियन ने इस शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। नवीन के व्यवसाय की वजह से उन्हें परिवार की नैतिकता पर ज्यादा यकीन नहीं था। बाद में गुरुजी के समझाने पर दोनों परिवारों में संबंध हुआ और वर्ष 2009 में दोनों की शादी संपन्न हुई। फिलहाल इन्हें दो बेटे और एक बेटी है।
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