कोरबा। किसी भी देश की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने में औद्योगिक घरानों की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पॉवर कंपनी के क्षेत्र में अडानी समूह सर्वाधिक सक्रिय औद्योगिक घरानों में आज ऊंचाई पर है और यही कारण है कि विदेशों में सफलता के लगातार परचम लहराने के साथ ही देश में भी इसकी टक्कर में आगे पीछे 10 पायदान तक कोई दिखाई नहीं देता।अपने स्थापना काल से ही लगातार विवादों में रहे और कई सालों से वित्तीय संकट से जूझ रहे पॉवर कंपनी लैंको अमरकंटक पॉवर कंपनी की डील पूर्ण हो गई है।
पावर सेक्टर में गौतम अडानी के अडानी समूह का वर्चस्व लगातार बढ़ रहा है और इसी क्रम में कोरबा स्थित लैंको अमरकंटक पॉवर कंपनी को भी इस समूह ने अपने एकाधिकार में ले लिया है।
सूत्रों के अनुसार लैंको के लिए अडानी समूह ने कुल 4,101 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है, लेकिन इसकी घोषणा सार्वजनिक रूप से किन कारणों से सामने नहीं आ पाई है और न ही इस संबंध में अडानी समूह की ओर से कोई बयान नहीं दिया जा रहा है..यह स्पष्ट नहीं हो पाया है।
पीछे हटे अन्य समूह ?
रिलायंस इंडस्ट्रीज और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन के भी इस नीलामी की प्रक्रिया में सामने आने की बात आरंभ में सामने आई थी, लेकिन ये दोनों बड़े समूहों का नीलामी की प्रक्रिया से दूरी बनाए रखना औद्योगिक जगत को चकित कर गया। सूत्रों की माने तो इनके अलावा मुकेश अंबानी, वेदांता समुह से अनिल अग्रवाल, नवीन जिंदल भी आरंभिक प्रक्रिया में लैंको को लेकर रूचि दिखा रहे थे।
इस कंपनी का ऑफर हुआ रिजेक्ट
सितंबर 2019 में वित्तीय संकट से जूझ रही लैंको अमरकंटक पावर लिमिटेड के लिए कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी की प्रक्रिया की शुरुआत हुई थी। अनिल अग्रवाल की कंपनी ट्विन स्टार टेक्नोलॉजीज ने साल 2022 में इसके लिए 3000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी, लेकिन उसे बहुत कम बताते हुए रिजेक्ट कर दिया गया। जब दोबारा प्रक्रिया की शुरुआत हुई तो अंबानी और अडानी ने सेल प्रोसेस के उल्लंघन का कारण बताते हुए इस प्रक्रिया में भाग लेने से मना कर दिया था। उस समय पीएफसी कंसोर्टियम द्वारा 3,020 करोड़ रुपये की बोली लगी थी। इसके बाद पिछले साल नवंबर महीने में अडानी समूह ने 3,650 करोड़ रुपये का ऑफर पेश किया था, जिसके बाद दिसंबर में उन्होंने अपना अमाउंट बढ़ाकर 4,101 करोड़ रुपये कर दिया। 12 जनवरी को नवीन जिंदल की कंपनी जिंदल पावर ने भी दिलचस्पी दिखाई थी। उन्होंने सौ करोड़ रुपये की बैंक गारंटी देते हुए 4,203 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था। हालांकि बाद में उन्होंने बोली वापस ले ली।
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