फरवरी का महीना ढेर सारा प्यार लेकर आता है। इस पूरे महीने, प्रेमी-प्रेमिकाओं पर प्यार का खुमार छाया रहता है। वे एक-दूसरे के साथ प्यार भरा वक्त बिताते हैं, तोहफे देते हैं और अपनी पुरानी यादों को ताजा करते हैं। इस प्यार के मौसम में आज हम आपको एक ऐसी प्रेम कहानी के बारे में बताने वाले हैं, जो लाखों लोगों के लिए प्यार की मिसाल मानी जाती है। हम हीर-रांझा की बात नहीं कर रहे हैं, न ही हम शीरीं-फरहाद के बारे में बात कर रहे हैं। इस बेमिसाल प्रेमी जोड़े का नाम है-अमृता प्रीतम और इमरोज।
अमृता प्रीतम एक मशहूर कवयित्री थीं, जिन्होंने अपनी कविताओं से लाखों लोगों के दिल के तार टटोले हैं। जितनी मशहूर इनकी रचनाएं हैं, उतनी ही मशहूर इनकी प्रेम कहानी भी है। अमृता का जन्म पंजाब में 1919 में हुआ था। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे में उनका परिवार पाकिस्तान छोड़कर भारत आ गया था। बंटवारे की यह चोट उनकी रचनाओं में देखने को मिल सकती है। अपनी कई रचनाओं में अमृता लाहौर की गलियों को याद करती नजर आ सकती हैं।
अमृता की शादी बचपन में ही प्रीतम सिंह के साथ तय हो गई थी। जब वह 16 साल की हुईं, तो उनके साथ उनका ब्याह हो गया। बचपन में हुई इस शादी में अमृता कभी प्यार न खोज पाईं। प्रीतम सिंह उन्हें बेहद चाहते थे, लेकिन अमृता उनके प्यार को कभी लौटा नहीं पाईं। इनके साथ अमृता के दो बच्चे हुए, लेकिन इस शादी में हमेशा एक कमी रह गई। वह थी प्यार की। शायद इसी कमी को पूरा करने अमृता अपना दिल मशहूर गायक साहिर लुधियानवी से लगा बैठीं। हालांकि, इस दौरान वह प्रीतम सिंह की पत्नी थीं, लेकिन उस जमाने में भी अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जीने वाली अमृता ने मशहूर गायक और शायर साहिर लुधियानवी से प्यार किया।
ऐसे हुई थी साहिर लुधियानवी से मुलाकात
साहिर लुधियानवी साहब से अमृता प्रीतम की मुलाकात सबसे पहले एक मुशायरे के दौरान हुई थी, जिसके बाद वह उन पर अपना दिल हार बैठीं और ताउम्र उनसे प्यार करती रहीं। हालांकि, इनका यह प्यार कभी मुकम्मल नहीं हो पाया। साहिर लुधियानवी के बारे में अमृता ने अपनी कई रचनाओं में लिखा है। अपनी आत्मकथा, ‘रसीदि टिकट’ में भी उन्होंने अपने और साहिर साहब के प्यार के बारे में लिखा है। साहिर लुधियानवी के लिए अपनी कविताओं की एक किताब ‘सुनेहड़े’ के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। इसके अलावा, उनकी रचनाओं के लिए उन्हें पद्मभूषण और अन्य कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया था।
“तुम मुझे जिंदगी की शाम में क्यों मिले”
इस अधूरी मोहब्बत के बाद अमृता की मुलाकात हुई, इंद्रजीत सिंह से, जो इमरोज के नाम से जाने जाते हैं। वे एक बेहद मशहूर चित्रकार थे। बंटवारे के बाद, अमृता दिल्ली में रहने लगी थीं, जहां उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) में काम करना शुरू कर दिया था। इसी दौरान अपनी एक किताब के कवर डिजाइन के सिलसिले में, अमृता की मुलाकात इमरोज से हुई। शादी-शुदा होने और साहिर लुधायनवी से प्यार के बारे में जानते हुए भी, इमरोज खुद को अमृता से प्यार करने से रोक नहीं पाए। अमृता भी इमरोज को चाहने लगी थीं।
अपने पति से उन्होंने 1960 में तलाक ले लिया और हौज़ खास में इमरोज के साथ लिव-इन में रहने लगीं, जो तब के समय लोगों की कल्पना से परे था। इमरोज से वह अपने जीवन में काफी देर से मिली थीं, जिस बारे में उन्होंने लिखा था कि “अजनबी तुम मुझे जिंदगी की शाम में क्यों मिले, मिलना था तो दोपहर में मिलते”।
इनके प्यार की एक बेहद मशहूर घटना याद आती है, जिसमें अमृता ने इमरोज से कहा था कि ‘तुम दुनिया घूमकर आओ और अगर तब भी तुम मुझे ही चाहोगे, तो मैं तुम्हारा यहीं इंतजार करती मिलूंगी’। इसके जवाब में इमरोज ने अमृता के सात चक्कर लगाए और कहा कि लगा लिए मैंने दुनिया के चक्कर और अब भी मैं तुम्हें ही चाहता हूं।
मैं तैनू फिर मिलांगी…
बिना शादी के बंधन में बंधे, वे दोनों एक साथ रहे। अमृता इमरोज से उम्र में बड़ी थीं। 2005 में उनके निधन के बाद भी इमरोज के मन में अमृता के लिए प्यार में कोई कमी नहीं आई। अमृता के गुजर जाने के बाद भी इमरोज ने अपनी कई रचनाओं में उन्हें जिंदा रखा। साल 2023 के अंत में इमरोज भी इस दुनिया को अलविदा कह गए। कुछ ऐसी थी अमृता प्रीतम और इमरोज के प्यार की कहानी, जो आज भी लोगों के लिए प्यार की मिसाल बनी हुई है।