चूहों पर एम्स भोपाल में 35 से अधिक शोध, शुगर से लेकर पौधों के जान रहे औषधी गुण

भोपाल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में चूहों पर बीमारियों पर 35 से अधिक शोध किए जा रहे हैं। एम्स भोपाल ही प्रदेश में इकलौती संस्थान है, जहां पर शोध पर काम तेजी से किए जा रहे हैं। रोगी जो दवाएं खाने वाले हैं, वह कितनी कारगर हैं, उनके कोई दुष्परिणाम तो नहीं होंगे, कौन सी दवा किस बीमारी में सही इस्तेमाल की जा सकती है। इसके लिए दवाओं का इस्तेमाल लैब के चूहों पर किया जाएगा।

एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) भोपाल में एनिमल हाउस में चूहों की अलग-अलग प्रजातियों पर पहले ही शोध हो रहे हैं। इसमें माइस प्रजाति के सी 57 बीएल 6 और स्वीस एलवीन है। जबकि चूहे की दूसरी प्रजाति एक्सपल डाली रेट और विस्टर रेट अभी मौजूद हैं। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि आने वाले दिनों में एनिमल हाउस में शोध के लिए जानवरों की संख्या को बढ़ाया जाना है। अब गिनी पिग, हेमस्टर (चूहे की प्रजाति) और खरगोश पर भी प्रयोग किए जाएंगे। एम्स भोपाल में गंभीर बीमारियों और विभिन्न दवाओं पर रिसर्च संभव हो सकेगा।

विशेषज्ञ डाक्टरों के अलावा पीजी छात्र भी रिसर्च कर सकेंगे। कैंसर, डायबिटीज, निमोनिया, डेंगू आदि जैसी बीमारियों की दवाओं पर रिसर्च की जाएगी। जिसमें दवाओं के साइड इफेक्ट भी शामिल होंगे। यह भी पता किया जाएगा कि कौन सी दवा का कितना प्रभाव या दुष्प्रभाव होता है। डोज कितना कारगर होगा। किस दवा का किस अंग पर प्रभाव पड़ता है। इसमें आयुर्वेद को भी शामिल किया गया है। इसके लिए संस्थान के हर्बल गार्डन में औषधीय गुण वाले पौधे लगाए गए हैं। रिसर्च के बाद उनका भी इस्तेमाल अलग-अलग बीमारियों में किया जा रहा है।

इनका कहना है

हमारे एम्स में एनिमल हाउस है, जहां पर लगातार शोध कार्य चल रहे हैं। हम चाहते हैं कि बीमारियों लगातार शोधकार्य भी हों, जिससे समाज का भला हो सके। अभी इसके विस्तार के लिए भी काम किया जाएगा।

डा. अजय सिंह, निदेशक, एम्स भोपाल