वित्त वर्ष 2024-25 में लैंगिक बजट 38.6 प्रतिशत बढ़ा

दिल्ली । संसद में जिस तरह से कल यानी 1 फरवरी, 2024 को प्रस्तुत किये गए अंतरिम बजट 2024-25 में बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच के अनुसार हमें चार प्रमुख समुदायों यानी कि ‘गरीब’ (निर्धन), ‘महिलाएं’ (औरतें एवं बालिकाएं) ‘युवा’ (नवयुवक व नवयुवतियां) और ‘अन्नदाता’ (किसान) पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। उनकी जरूरतें, उनकी आकांक्षाएं और उनका कल्याण करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। वित्त वर्ष 2024-25 में लैंगिक बजट में 38.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

मुख्य अंश इस प्रकार से समझे जा सकते हैं:

43 मंत्रालयों/विभागों/केंद्र शासित प्रदेशों ने लैंगिक बजट विवरण 2024-25 (बजट अनुमान) में कुल 3.09 लाख करोड़ रुपये खर्च होने की जानकारी दी है, जबकि 2023-24 में यह राशि 2.23 लाख करोड़ रुपये थी।

38 मंत्रालयों/विभागों और 5 केंद्रशासित प्रदेशों ने या तो भाग ए या फिर भाग बी में अपनी रिपोर्ट दी है।

भाग ए में (100 प्रतिशत महिला केंद्रित योजनाएं) 22 मंत्रालयों एवं विभागों और 5 केंद्रशासित प्रदेशों ने जानकारी दी है।

भाग बी में 31 मंत्रालयों एवं विभागों तथा 4 केंद्रशासित प्रदेशों ने (महिलाओं के लिए 30-99 प्रतिशत बजटीय आवंटन की) अपनी रिपोर्ट दी है।

लैंगिक बजट विवरण 2024-25 में सूचित की गई लैंगिक बजट की मात्रा 2023-24 के बजट अनुमान से 38.6 प्रतिशत अधिक है।

केंद्रीय बजट में कुल लैंगिक बजट की हिस्सेदारी 2023-24 में 5 प्रतिशत से बढ़कर 2024-25 में 6.5 प्रतिशत हो गई।

पिछले वर्ष की तुलना में लैंगिक बजट में इस वृद्धि का 87 प्रतिशत हिस्सा 7 मंत्रालयों/विभागों द्वारा महिलाओं एवं बालिकाओं के लिए बढ़े हुए आवंटन के कारण है:

गृह मंत्रालय

ii. इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय

iv. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय

vi. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग और

ग्रामीण विकास विभाग