इलाहाबाद संग्रहालय की गैलरी से हटाई गई आजाद की ‘बमतुल बुखारा’

प्रयागराज। 5 महीने पहले ही अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की पिस्टल को इलाहाबाद संग्रहालय की गैलरी में डिस्प्ले के लिए रखा गया था।संग्रहालय कार्यकारिणी समिति की अध्यक्ष के नाते राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने ही कोल्ट पिस्तौल को अपने हाथों से डिस्प्ले बूथ पर सजाते हुए ऐतिहासिक आजाद गैलरी का उद्घाटन किया था। इसे कुछ ही समय बाद वहां से हटा लिया गया। संग्रहालय प्रशासन ने संस्कृति मंत्रालय और राज्यपाल को अवगत कराया है कि मौजूदा स्थिति में आजाद की पिस्तौल रखना सुरक्षा कारणों से उपयुक्त नहीं है। इसकी तिहरी सुरक्षा सुनिश्चित होने के बाद ही इसका डिस्प्ले किया जाएगा। इसकी जगह पिस्तौल की अनुकृति (हूबहू कॉपी) रखवाई गई है।

आजाद गैलरीस के प्रभारी डॉ. राजेश कुमार मिश्र ने कहा कि गैलरी से कोल्ट पिस्तौल को सुरक्षा कारणों से हटाया गया है। अब इसे त्रिस्तरीय हाई सिक्योरिटी के बीच रखा जाएगा। इसकी एचडी कैमरों से तो निगरानी करेंगे ही, सीआईएसएफ या पुलिस बल की तैनाती के साथ-साथ बुलेट प्रूफ चेंबर में रखा जाएगा। दरअसल, संग्रहालय की आजाद गैलरी में जहां कोल्ट पिस्तौल रखी गई थी, वह तीन तरफ से खुला हुआ है। गैलरी के ठीक ऊपर गांधी वीथिका है। कोई उसकी छत से नीचे उतर सकता है। इन्हीं खतरों को चलते पिस्तौल हटाई गई है।

संग्रहालय प्रशासन ने राजभवन और संस्कृति मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि आजाद की कोल्ट पिस्तौल धरोहर होने के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियों की दृष्टि से दुर्लभ भी है। ऐसे में इसके डिस्प्ले के लिए त्रिस्तरीय उच्च सुरक्षा घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया गया है। इसमें सीआईएसएफ या पुलिस के जवानों की वहां तैनाती करने के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता वाले (एचडी) कैमरों की निगरानी के बीच बुलेट प्रूफ शीशे के अंदर रखकर प्रदर्शित करने का सुझाव दिया गया है।

पिस्टल का इतिहास

27 फरवरी 1931 को अल्फ्रेड पार्क (अब आजाद पार्क) में चंद्रशेखर आजाद ने इसी पिस्तौल से अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। तब कई अंग्रेज पुलिस कर्मियों को उन्होंने निशाना बनाया था। घायल होने और घिरने के बाद इसी पिस्तौल से खुद को गोली मार शहीद हो गए थे। अंग्रेजी हुकूमत ने तत्कालीन अंग्रेज पुलिस अधीक्षक नॉट बावर को सेवानिवृत्ति के के समय यह पिस्तौल पुरस्कार स्वरूप भेंट दे दी थी। इसे वह अपने साथ इंग्लैंड ले गया था। लंबे प्रयासों के बाद यह पिस्तौल पुन: हासिल की जा सकी। इसे इलाहाबाद संग्रहालय में संरक्षित किया गया है। आजाद खुद इस पिस्तौल को बमतुल बुखारा (आग उगलने वाला हथियार) कहते थे।

यह है पिस्टल की खासियत

आजाद की यह पिस्टल अमेरिकन फायर आर्म्स बनाने वाली कोल्ट्स मेन्यूफैक्चरिंग कंपनी ने 1903 में बनाई थी। यह कंपनी अब कोल्ट पेटेंट फायर आर्म्स मैन्यूफैक्चरिंग के नाम से जानी जाती है। प्वाइंट 32 एसीपी (ऑटो कोल्ट पिस्टल) एक हैमरलेस सेमी आटोमेटिक पिस्तौल है। इसकी मैगजीन में आठ गोलियां आती हैं। इस पिस्टल की रेंज 25 से 30 गज तक है।