इंदौर। इंदौर जिले में पारंपरिक फसलों के अलावा बागवानी की फसलें बड़ी मात्रा में उगाई जाती हैं। विगत के कुछ वर्षों में जिले में औषधीय पौधों की खेती भी शुरू कराई गई। इससे किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई। अब कृषि विभाग औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाकर किसानों को जागरूक करेगा। वर्तमान में 100 के करीब किसान अश्वगंधा, अरकरा, कुसुम और चिया की खेती कर रहे हैं।
कलेक्टर कार्यालय में बुधवार को कलेक्टर आशीष सिंह की अध्यक्षता में कृषि तकनीकी प्रबंध संस्था (आत्मा) गवर्निंग बोर्ड की बैठक आयोजित की गई। इसमें कलेक्टर सिंह ने औषधीय पौधों की खेती के लिए किसानों को जागरूक करने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिए किए इसकी जानकारी किसानों तक पहुंचाने के लिए अभियान चलाया जाए। गौरतलब है कि औषधीय पौधे कई बीमारियों में उपयोग किए जाते हैं। इस कारण इनकी बाजार में मांग अधिक होती है। इनके अधिक मूल्य पर बिकने से किसानों को अधिक लाभ प्राप्त होता है।
1.15 लाख क्विंटल बिकी कुसुम पंखुड़ी
जिले में विगत वर्ष कुसुम की खेती 15 किसानों को प्रेरित कर शुरू कराई गई थी। कुसुम की पंखुडियां 1.15 लाख रुपये क्विंटल में कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा नीमच में बिकवाई। इसके अतिरिक्त इसके बीज भी किसानों ने बेचे। कुसुम के फूल की चाय का सेवन करने से कोलेस्ट्रोल कम होता है। इसकी चाय ग्रीन टी की तरह बनती है। वर्तमान में जिले में 25 किसान इसकी खेती कर रहे हैं।
30 किसानों ने लगाया चिया
इस बार आत्मा द्वारा नवाचार करते हुए किसानों को चिया की खेती करने के लिए प्रेरित किया है। इसका बीज बहुत महंगा बिकता है। यह सुपर फूड के रूप में उपयोग होता है। इसकी खासियत यह है कि बिना दवाई के चिया की पैदावर हो जाती है। शरीर के लिए उपयोगी होने से इसकी मांग बहुत रहती है।
अश्वगंधा और अरकरा की खेती को बढ़ावा देने के साथ ही विगत वर्ष कुसुम की खेती के लिए किसानों को जागरूक किया गया। इस बार चिया की खेती भी किसानों को जागरूक कर शुरू कराई गई है। किसानों को इससे फायदा हो रहा है।
– शर्ली थामस, उप संचालक आत्मा
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