कांग्रेस शासनकाल में 162 करोड़ की राम वन गमन पथ निर्माण भी भ्रष्‍टाचार की भेंट चढ़ी, सीएम साय ने पूर्व सरकार पर बोला हमला, कहा – कमेटी बनाकर कराएंगे जांच

रायपुर, 19 जनवरी। छत्‍तीसगढ़ में राम वन गमन पथ के निर्माण में भ्रष्‍टाचार के आरोपों पर मुख्‍यमंत्री विष्‍णुदेव साय ने आज पूर्व की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा। राजधानी रायपुर में मीडिया से चर्चा करते हुए सीएम विष्‍णुदेव साय ने कहा कि कांग्रेस की सरकार में बहुत सारे भ्रष्‍टाचार हुए हैं, जहां भी लगेगा कि भ्रष्‍टाचार हुआ है, वहां कमेटी बनाकर जांच की जाएगी।

गौरतलब कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ में भगवान राम के वनवास से जुड़े विभिन्‍न स्‍थानों को पर्यटक स्‍थल के रुप में विकसित करने की 162 करोड़ रूपये योजना तैयार की थी। संबंधित स्थानों पर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य भी जारी है। विपक्ष में रहते भाजपा ने इसमें भ्रष्‍टाचार का आरोप लगाया था। वहीं हमर संगवारी संस्था के अध्यक्ष, आरटीआई कार्यकर्ता राकेश चौबे ने एक पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से मामले में शिकायत की है।

राम वन गमन’ की आधारशिला रखी थी कांग्रेस सरकार ने

छत्तीसगढ़ में ऐसी मान्यता है कि अपने वनवास के 10 साल श्री राम ने दण्डकारण्य यानी वर्तमान छत्तीसगढ़ के जंगलों में बिताए थे। यही नहीं, प्रभु श्री राम की माता, कौशिल्‍या का जन्म भी छत्तीसगढ़ में हुआ था। इसी के चलते भूपेश बघेल सरकार ने 2019 में ‘राम वन गमन पर्यटन परिपथ’ की आधारशिला रखी थी । राम वन गमन पर्यटन परिपथ वह मार्ग है जिसमें 14 साल के लिए वनवास जाने के दौरान प्रभु राम ने अपना रास्ता तय किया था। राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना को विकसित कर छत्तीसगढ़ में पर्यटन परिपथ के माध्यम से श्रीराम व माता कौशल्या से जुड़ी यादों को सहेजने का कार्य किया जा रहा है।

राम वन गमन पर्यटन में 10 चयनित स्थल

हमर संगवारी संस्था के अध्यक्ष, आरटीआई कार्यकर्ता राकेश चौबे ने एक पत्र लिखकर यह मुददा उठाया है। चौबे ने कहा कि इस योजना के अंतर्गत सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अंबिकापुर), शिवरी नारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) स्थल को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है तथा कार्ययोजना बनाकर तीन अलग अलग कंपनियों टीसीएल, एचजीआई तथा वेपकोस कंपनी को कार्य सौंपे गए हैं।

गुणवत्ता की जांच किये बिना भुगतान

आरटीआई कार्यकर्ता राकेश चौबे ने कहा कि तीनों कंपनियां छत्तीसगढ़ पर्यटन मण्डल के अधीन काम कर रही हैं तथा कुल प्रोजेक्ट लगभग 170 करोड़ का है। कंपनियां अलग अलग स्थल पर अलग अलग छोटी एजेंसियों को काम देकर इसे पूरा कराती हैं तथा छत्तीसगढ़ पर्यटन मण्डल से भुगतान प्राप्त करती हैं। आश्चर्य कि कार्य गुणवत्ता संबंधी जांच किए बगैर ही इन कंपनियों को करोड़ों का भुगतान कर दिया गया। संबंधित फाइलों के अवलोकन से यह ज्ञात हो जाएगा. निर्माण की गुणवत्ता बेहद निम्नस्तर की है और अनाप शनाप दर भुगतान करने के बिल बनाए गए हैं अत: इन सबकी जांच हो खासकर मटेरियल्स और बेस मटेरियल की।

दूसरी ओर पूरे मामले में छत्तीसगढ़ पर्यटन मण्डल के एक अफसर की भूमिका संदेह के दायरे में है। इसलिए मामले की जांच की मांग की गई है। बताते चलें कि छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ में आने वाले 75 स्थलों का चयन किया गया है। प्रथम चरण में 10 स्थानों सीतामढ़ी हरचौका, रामगढ़, शिवरीनारायण, चंपारण्य, तुरतुरिया, चन्दरखुरी, राजिम, सिहावा सप्तऋषि आश्रम, जगदलपुर एवं रामाराम के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए 162 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया।
बहरहाल CM विष्णुदेव साय ने केवल राम वन गमन पथ ही नहीं बल्कि अन्य भ्रष्टाचार की भी जांच की बात कहकर इशारा कर दिया है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार करने वालों को बख्शा नहीं जायेगा।

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