बीएसपी में ठेका मजदूरों को नहीं मिल रहा न्यूनतम वेतन: एचएस मिश्रा


भिलाई ,16 जनवरी । एचएमएस यूनियन से संबद्ध भिलाई श्रमिक सभा के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ श्रमिक नेता एचएस मिश्रा ने बीएसपी में काम करने वाले ठेका मजदूरों के हक में फिर एक बार आवाज बुलंद की है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1956 में शुरू हुए बीएसपी में अब तक हजारों कंपनी व ठेकेदार काम किए और चले गए। लेकिन आज भी अपने खून पसीने से बीएसपी के उत्पादन में योगदान देने वाले ठेका मजदूरों को न्यूनतम वेतन तक नहीं मिल पा रहा है। आईआर विभाग के जारी परिपत्र और हिदायत का भी ठेकेदार, कंपनी व अधिकारियों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। कार्य स्थल पर तैनात अधिकारी ठेकेदार और कंपनी से फर्जी साइन कराकर एनओसी ले लेते हैं।

वरिष्ठ श्रमिक नेता एचएस मिश्रा ने बताया कि बीएसपी में एडब्लयूए के नियमानुसार ठेका मजदूरों को बोनस, छुट्टियों का पैसा आदि नहीं दिया जाता है।अगर कुछ ठेकेदार व कंपनी बोनस देते भी हैं तो वह राशि दो से चार हजार तक होती है। इस तरह से ठेकेदार व कंपनी के द्वारा मजदूरों के हक का लाखों, करोड़ों रुपए हड़प लिया जा रहा है। इस तरह का खेल पूरे संयंत्र में चल रहा है। आईआर विभाग के महाप्रबंधक जेएन ठाकुर के द्वारा जारी परिपत्र और हिदायत देने के बावजूद न्यूनतम वेतन संयंत्र में लागू नहीं हो पाया दूर्भाग्यपूर्ण है। इसमें संयंत्र के कुछ अधिकारियों का ठेकेदार व कंपनियों को खुला संरक्षण मिला हुआ है।

उन्होंने बताया कि अनेक ठेकेदार व कंपनी बीएसपी में साल – दो साल के लिए लेबर सप्लाई का ठेका लेते हैं। लेकिन कार्य स्थल पर आवश्यक के अनुसार मजदूर नहीं भेजते हैं बल्कि कम मजदूरों से अधिक काम लिया जाता है। इन मजदूरों को वेतन पर्ची, इम्प्लाइमेंट कार्ड और सुरक्षा के पूरे उपकरण नहीं दिया जाता है। प्रबंधन को उत्पादन बढ़ाने की जिम्मेदारी है ,यह बहुत अच्छी बात है, उत्पादन जरुर बढ़ना चाहिए। लेकिन अधिकारियों को किसी भी सूरत में कर्मचारी व मजदूरों के जीवन से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। उत्पादन बढ़ाने के लिए अकुशल मजदूरों से कुशल मजदूरों का काम लिया जा रहा है। ऐसे अकुशल मजदूरों को सुरक्षा के बारे में जानकारी व प्रशिक्षण नहीं दिए जाने से संयंत्र में आए दिन हादसों में मजदूरों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है।
श्री मिश्रा ने कहा कि ठेका मजदूरों के साथ हो रहे अन्याय को देखते हुए प्रबंधन को चाहिए कि नियम व शर्तों का कोई भी ठेकेदार व कंपनी उलंघन नहीं कर सके। वहीं सुरक्षा के मापदण्ड का भी सही तरीके से पालन किया जाना चाहिए। दिन भर मजदूर मेहनत करता है। लेकिन ठेकेदार व कंपनी मजदूर की हाजिरी और ओवर टाइम में गड़बड़ी करते हैं। जिससे उनके किए गए मेहनत का सही भुगतान नहीं मिल पा रहा है।

ठेका व कंपनी मजदूरों का भी बायोमेट्रिक अटेंडेंस आज के समय में आवश्यक है। जिससे उनकी हाजिरी सही मिलेगी और उनके शोषण पर विराम लग पाएगा। लगभग 5 से 6 हजार मजदूर बायोमेट्रिक अटेंडेंस के लिए अपना फोटो करा चुके हैं। प्रबंधन को सभी 22 हजार मजदूरों का बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम तुरंत लागू करना चाहिए। जो आदेश का पालन नहीं करते हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इसी तरह कांट्रेक्ट एग्रीमेंट में भी न्यूनतम वेतन और सुविधाओं के बारे में स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए। वर्ष 2017 से कैश पेमेंट के बजाय लागू की गई बैंक पेमेंट की सुविधा भी सभी मजदूरों को मिलनी चाहिए। जो भी ठेकेदार व कंपनी एग्रीमेंट के अनुसार भुगतान व सुविधा उपलब्ध नहीं कराता है तो प्रबंधन द्वारा उसका भुगतान रोका जाना चाहिए।

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