हाईकोर्ट ने पूछा- मनेंद्रगढ़ कलेक्टर घरौंदा को अपने घर में शिफ्ट कर रहे हैं क्या ?

बिलासपुर। प्रदेश के घरौंदा केंद्रों में भारी अव्यवस्था और आठ बच्चों की मौत की जांच को लेकर दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल के डिवीजन बेंच में सुनवाई हो रही है। कोर्ट कमिश्नर ने जब डीबी के समक्ष मनेंद्रगढ़ कलेक्टर के जवाब की जानकारी दी तब चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताई और तल्ख टिप्पणी भी की। चीफ जस्टिस ने पूछा कि कलेक्टर शराब दुकान को हटाने के बजाय घरौंदा को ही किसी दूसरी जगह शिफ्ट करने की बात कह रहे हैं। क्या वे अपने घर में शिफ्ट कर रहे हैं। नाराज चीफ जस्टिस ने कहा कि जिस काम के लिए सरकार पैसा दे रही है उसका सही उपयोग नहीं हो रहा है। जरुरतमंदों तक योजना नहीं पहुंच पा रही है। हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने संचालक समाज कल्याण विभाग के अलावा मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले,बिलासपुर व रायपुर जिले के कलेक्टरों को शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

कोपलवाणी चाइल्ड वेलफेयर आर्गेनाइजेशन ने सन् 2020 में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें बताया गया है कि समाज कल्याण विभाग की ओर से चार संस्थाओं को 2020 तक नौ करोड़ 76 लाख रुपये का अनुदान दिया गया। याचिकाकर्ता ने यह भी जानकारी दी है कि 2014 से लेकर अब तक भूख के कारण आठ बच्चों की मौत हो गई है। हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने घरौंदा केंद्रों की जांच के लिए हाई कोर्ट अधिवक्ताओं को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया । डिवीजन बेंच के निर्देश पर कोर्ट कमिश्नरों ने विभिन्न जिलों में संचालित घरौंदा केंद्रों की जांच की। जांच में पाया कि घरौंदा केंद्रों में अव्यवस्था फैली हुई है।देखरेख और खान-पान में लापरवाही बरती जा रही है। साफ सफाई की भी कमी है। कोर्ट कमिश्नरों ने मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले की रिपोर्ट में बताया कि वहां कलेक्टर ने घरौंदा केंद्र के पास स्थित शराब दुकान को हटाने से इन्कार किया है। कलेक्टर ने कहा कि शराब दुकान हटाना मुश्किल है। घरौंदा केंद्र को ही हटा देंगे। इस पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने कलेक्टर से शपथ पत्र के साथ जवाब दाखिल करने कहा है। अन्य जिलों से कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट नहीं आई है। शासन से वर्तमान स्थिति पर नया शपथ पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। सुनवाई जारी रहेगी।

दो विभाग के सचिव ने शपथ पत्र के साथ पेश किया था जवाब

हाई कोर्ट के निर्देश पर बीते सुनवाई के दौरान सामाजिक कल्याण, स्वास्थ्य और वित्त विभाग के सचिव ने शपथ पत्र प्रस्तुत कर जानकारी दी थी। इसमें किए गए दावों की पड़ताल और केंद्रों की वास्तविक स्थिति देखने के लिए हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने 11 वकीलों को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है। उन्हें अगली सुनवाई तक अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा गया था। राज्य शासन ने अपनी जानकारी बताया था कि समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत निराश्रित बच्चों के लिए काम कर रही सामाजिक संस्थाओं को अनुदान दिया जाता है। उनके लिए अलग से घरौंदा योजना शुरू की गई थी। इसके तहत चार संस्थाओं को 9 करोड़ 76 लाख रुपए दिए गए, लेकिन यहां अव्यवस्था है। जिस कारण योजना का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है।

हाई कोर्ट ने वर्तमान स्थिति की मांगी थी जानकारी

जनहित याचिका पर 10 अगस्त 2023 को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने प्रदेश में संचालित घरौंदा सेंटर की वर्तमान स्थिति की जानकारी मांगी थी। वित्त सचिव को बताने को कहा गया था कि इन केंद्रों को पिछले तीन वित्त वर्ष में कितना फंड आवंटित किया गया है और इसका किस तरह उपयोग किया गया है। कोर्ट के निर्देश पर बीते सुनवाई के दौरान शपथ पत्र के साथ जानकारी दी गई।

ये बनाए गए कोर्ट कमिश्नर

हाई कोर्ट ने एडवोकेट संघर्ष पांडेय और सूर्या कंवलकर डांगी को रायपुर, शिवाली दुबे और अपूर्व त्रिपाठी को बिलासपुर, पलाश तिवारी और ईश्वर साहू को कोरिया, अदिति सिंघवी और मलय श्रीवास्तव को बालोद, रवींद्र शर्मा को अंबिकापुर, विवेक श्रीवास्तव को रायगढ़ और सिद्वार्थ शुक्ला को बस्तर के घरौंदा सेंटर के निरीक्षण के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है।

कोर्ट कमिश्नरों ने दी ये जानकारी

0 मनेंद्रगढ़ कोरिया में घरौंदा केंद्र के सामने शराब दुकान है। इसके चलते वहां पूरे समय असहज स्थिति बनी रहती है। किसी भी दिन बड़ी घटना घट सकती है। इस संबंध में जब कलेक्टर से बात की गई और शराब दुकान को अन्यत्र हटाने कहा गया तो उन्होंने शराब दुकान के बजाय घरौंदा को ही अन्यत्र संचालित करने की बात कही।

0 बिलासपुर में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। यहां पदस्थ कर्मचारियों की सूची ही नहीं है। एक कर्मचारी ने रजिस्टर में दो जगह हस्ताक्षर किया है। गलती सामने आने पर व्हाइटनर लगा दिया। उसी व्हाइटनर में दूसरे कर्मचारी ने हस्ताक्षर कर दिया है। घरौंदा केंद्र में कितने बच्चे हैं,संचालक को जानकारी ही नहीं है। कितने बच्चों की मौत हो गई है,इसका कोई प्रमाणिक दस्तावेज केंद्र में नहीं है। पूछताछ में भी स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाए। कितने कर्मचारी नियमित काम करते हैं इसका भी कोई दस्तावेज नहीं है।

0 रायपुर के केंद्र में भी गड़बड़ी है। कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि बिलासपुर की अपेक्षा रायपुर में गड़बड़ी कम मिली।