हसदेव जंगल में फिर शुरू हुई पेड़ों की कटाई, कोल खदान का विरोध करने वाले हिरासत में

सरगुजा,22 दिसम्बर I छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन होते ही हसदेव अरण्य क्षेत्र में एक बार फिर से पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई है. जिला प्रशासन व वन विभाग की अनुमति के बाद गुरुवार से पीईकेबी 2 परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई की जा रही है. वर्तमान में लगभग 93 हेक्टेयर भूमि में 9000 से ज्यादा पेड़ों के कटाई की योजना बनाई गई है. पिछली बार पेड़ों की कटाई को लेकर उपजे विवाद व विरोध प्रदर्शन को देखते हुए इस बार प्रशासनिक महकमा पहले से ही अलर्ट मोड़ पर है और विरोध करने वाले कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है.

राजस्थान राज्य विद्युत् वितरण कम्पनी को आबंटित व अडानी कंपनी द्वारा संचालित परसा ईस्ट केते बासेन 2 कोल परियोजना के लिए पेड़ों के कटाई की अनुमति भारत सरकार द्वारा दी जा चुकी है. पेड़ों की कटाई और कोयला उत्पादन की अनुमति मिलने के बाद जिला प्रशासन की मदद से पहले दो बार पेड़ों की कटाई का काम शुरू किया गया था लेकिन दोनों ही बार ग्रामीणों के भारी विरोध के कारण पेड़ों की कटाई बीच में ही रोकनी पड़ गई थी लेकिन अब सत्ता परिवर्तन होने के बाद एक बार फिर से पेड़ों की कटाई का काम शुरू किया गया है

हसदेव अरण्य क्षेत्र में आने वाले हरिहरपुर, साल्ही, घाटबर्रा, फतेहपुर, बासेन, परसा में पुलिस बल को तैनात किया गया और फिर पेड़ों की कटाई शुरू की गई. घाटबर्रा, पेंड्रामार जंगल में सुबह 10 बजे से पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई थी. इस दौरान जंगल के कक्ष क्रमांक 2003, 2004, 2005 और 2006 में चार अलग अलग टीमों द्वारा हरे भरे पेड़ों की कटाई की गई.हाल ही में भारत सरकार के कोल मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़ के अधिकारियों की बैठक लेकर पेड़ों की कटाई कराने के साथ ही जल्द से जल्द खदान से कोयला उत्पादन शुरू करने के निर्देश दिए थे. ओपन कास्ट माइंस से कोयला उत्पादन को लेकर सरकार से मिले निर्देश के बाद कलेक्टर कुंदन कुमार ने नेतृत्व में जिला प्रशासन, वन विभाग की टीम उदयपुर क्षेत्र में पहुंची थी.

पीईकेबी फेज 1 के खदानों से कोयला उत्पादन का कार्य किया जा रहा था जबकि ओपन कास्ट माइंस पीईकेबी 2 कोल परियोजना के लिए लगभग 21 सौ हेक्टयर जंगल में खनन व पेड़ों के कटाई की स्वीकृति साल 2011 में ही दी जा चुकी है. इस योजना के तहत हर साल लगभग 150 हेक्टेयर जंगल की कटाई कर उसमें से कोयला उत्पादन किया जाना है लेकिन विगत वर्ष दो बार कोयला पेड़ों की कटाई का विरोध किया गया. ऐसे में लगभग 41 हेक्टेयर जंगल में ही पेड़ों की कटाई हो पाई थी. पेड़ों की कटाई पूरी नहीं होने के कारण कोयला उत्पादन चार पांच महीनों से प्रभावित हो गया था इसीलिए वर्तमान में जिला प्रशासन द्वारा शासन के निर्देश पर पिछले बार के स्वीकृत 93 हेक्टेयर जंगल में ही पेड़ों की कटाई शुरू कराई गई है. 93 हेक्टेयर जंगल में 9 हजार से अधिक पेड़ काटे जाने की बात कही जा रही है।

इस मामले में सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार ने बताया “घाटबर्रा कोल परियोजना पिछले चार महीने से रुकी हुई थी. परियोजना को लेकर भारत सरकार के कोल मंत्रालय से सचिव व छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव द्वारा समीक्षा की गई. कोल आयात के कारण भारत सरकार को हानि हो रही थी इसलिए प्रोजेक्ट को जल्दी चालू करने का निर्देश दिया गया था. प्रोजेक्ट को लेकर बाहरी लोगों का विरोध शुरू से रहा है इसलिए पुलिस बल को तैनात किया गया है ताकि किसी प्रकार की कोई घटना ना हो और शांति व कानून व्यवस्था बनी रहे. यह प्रोजेक्ट भारत सरकार द्वारा स्वीकृत है. इसलिए पेड़ों की कटाई और कोयला खनन का कार्य रुक नहीं सकता, यह ओपन कास्ट परियोजना है तो पेड़ों की कटाई करनी पड़ेगी. वर्तमान में 93 हेक्टेयर में 8 से 9 हजार पेड़ की कटाई की जानी है. कोल खदान प्रारंभ होने से क्षेत्र के लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेंगे. “

हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ों की कटाई और कोयला उत्पादन को लेकर विरोध का सिलसिला सालों से चला आ रहा है. बीते साल जिला प्रशासन द्वारा दो बार पेड़ों की कटाई का प्रयास किया गया लेकिन विरोध के कारण प्रशासन को पीछे हटना पड़ा था. इस दौरान पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने भी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर कड़ा विरोध किया था जबकि भाजपा ने प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के निवास का घेराव कर दिया था. दोनों तरफ से विरोध के कारण प्रशासन ने कटाई का कार्य बंद करा दिया था. यही वजह है कि इस बार विरोध के कारण कटाई को प्रभावित होने से रोकने के लिए प्रशासन पहले से ही अलर्ट था. इस दौरान पुलिस टीम द्वारा रहा आंदोलनकारियों रामलाल, जयनंदन सरपंच घाटबर्रा, ठाकुर राम व अन्य को उनके घर से हिरासत में भी लिया गया है जिसका वीडियो वायरल हो रहा है.

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