नए भारत की नई पहचान का सर्वोत्तम उदाहरण, रेल फ्लाईओवर का काम जल्द होगा पूरा, ट्रेनों की बढ़ेगी गति

बिलासपुर,22 दिसम्बर I उसलापुर के मध्य 10.4 किमी लंबी आधुनिक रेल फ्लाईओवर (रेल के ऊपर रेल) का निर्माण कार्य अंतिम चरण पर है। यह रेलवे की पहचान बनेगा। इतना ही नहीं बिलासपुर यार्ड से ट्रेनों के क्रास होने की बड़ी परेशानी भी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। सबसे बड़ी उपलब्धि ट्रेनों के परिचालन की स्थिति रहेगी, जिस पर सुधार होगा।

बिलासपुर-उसलापुर आधुनिक रेल फ्लाईओवर (रेल के ऊपर रेल) का निर्माण काफी दिनों से चल रहा है। रेलवे की इस महत्वपूर्ण परियोजना का हर किसी को इंतजार है। इसके पूरा होते ही ट्रेनों की समयबद्धता सुनिश्चित होगी। इसके अलावा यात्री कम समय में गंतव्य तक पहुंचेंगे। फ्लाईओवर के निर्माण के साथ ही ओवर हेड लाइन का शिफ्टिंग जैसे सभी महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा कर लिया गया है।

लांग वेलडेड रेल लगाने का कार्य भी अंतिम चरण में हैं। इसे अतिशीघ्र पूरा करने का लक्ष्य भी रखा गया है। वर्तमान में ट्रेनों को कटनी दिशा की ओर जाने में बिलासपुर यार्ड को क्रास करना पड़ता है। इसमें काफी समय लगता है। इसके साथ ही उक्त समय तक रायपुर से बिलासपुर व बिलासपुर से रायपुर दिशा की ओर आने-जाने वाली ट्रेनों को नियंत्रित भी करना पड़ता है। इसके चलते ट्रेनों की समयबद्धता प्रभावित होती है।

इस कार्य के पूरा होते ही बिलासपुर से कटनी दिशा की ओर जाने वाली सभी ट्रेनें इस मार्ग से अविलंब उसलापुर होते हुए कटनी दिशा की ओर जाने लगेंगी। इसके साथ ही बिलासपुर-रायपुर दिशा की ट्रेनों को नियंत्रित नहीं करना पड़ेगा। इससे गाड़ियों की समयबद्धता बढ़ेगी और आने वाले दिनों में इसका सीधा लाभ यात्रियों को कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंचने के रूप में मिलेगी। इससे बिलासपुर और उसलापुर को ट्विन सिटी के रूप में विकसित होने में सहायता मिलेगी। साथ ही उसलापुर स्टेशन में यात्री सुविधा विकास के साथ ही व्यापारिक गतिविधियों का बेहतर संचालन करने में मदद मिलेगी। यह अधोसंरचना विकास नए भारत की नई पहचान का सर्वोत्तम उदाहरण भी सिद्ध होगा।

काम पूरा होते ही सेफ्टी कमिश्नर आएंगे निरीक्षण करने
फ्लाईओवर का काम पूरा होते ही कमिश्नर रेलवे सेफ्टी निरीक्षण करने के लिए आएंगे। उन्हें यहां से न्योता दिया जाएगा। दरअसल किसी भी नई लाइन पर ट्रेनों का परिचालन तब तक शुरू नहीं किया जा सकता है, जब तक सेफ्टी कमिश्नर उस लाइन को हरी झंडी नहीं दे देते। यदि निरीक्षण के दौरान उन्हें कमियां मिलती हैं तो वह स्वीकृति नहीं भी दे सकते हैं।

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