कोरबा,21 दिसम्बर l ग्राम तनौद में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के पहले दिन भागवत आचार्य नागेन्द्र चतुर्वेदी ने भागवत महात्म्य की कथा सुनाते हुए बताया कि श्रीमद् भागवत महापुराण साक्षात भगवान श्री कृष्ण चंद्र जी का वांग्मय स्वरूप है। इस कथा को सुनने से कलयुग के दोषों और पाप का नाश होता है। भागवत की कथा में अपने अस्तित्व से मिलने की एक नियति छिपी हुई है, जैसे किसी बीज के अंदर अंकुरण छिपा रहता है भागवत की नियति ब्रह्म होना है, अर्थात जीव को शिव बनना हैl यही भागवत की कथा परम चेतना को जागृत करने वाली दिव्य तरंग भी हैl
आचार्य ने बताया कि इसी कथा का आश्रय प्राप्त कर भक्ति देवी के दोनों बेटे ज्ञान और वैराग्य को किशोर अवस्था प्राप्त हुई थी, उनकी वृद्धावस्था दूर हुई थी l भयानक प्रेत योनि में पड़ा हुआ धुंधकारी सद्गति और परमधाम को प्राप्त किया था। राजा परीक्षित ने इसी सत्कर्म को सद्गति और मोक्ष प्राप्ति के लिए धरती में पहली बार किया था, उन्हें परमधाम की प्राप्ति हुई थी। भागवत रूपी सत्कर्म किसी मनुष्य के अनेक जन्मों के पुण्य उदय होने पर भाग्यवश प्राप्त होता है, यह केवल पुरुषार्थ का विषय नहीं है।
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