जैसलमेर के पाषाण से निर्मित होगा 150 वर्ष पुराना दिगंबर जैन मंदिर

रायपुर । दिगंबर जैन मंदिर मालवीय रोड में लगभग 150 वर्ष पुराने मंदिर का पुनर्निर्माण भूमि पूजन का कार्य आचार्य विद्यासागर महाराज के मंगल आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन से संपन्न हुआ। ट्रस्ट कमेटी के मेनेजिग ट्रस्टी नरेंद्र जैन गुरुकृपा एवं ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष संजय जैन नायक ने बताया कि मालवीय रोड स्थित दिगंबर जैन मंदिर में जैसलमेर के पीले पत्थरो से 171 फुट ऊंचे शिखर का 3 मंजिला मंदिर त्रिकाल चौबीसी सस्त्रकुट जिनालय बनाना तय हुआ है साथ  संत निवास सर्व सुविधा युक्त धर्मशाला पार्किंग एवं सुन्दर गार्डन का निर्माण कार्य भी किया जायेगा इस अवसर पर दिगंबर जैन समाज के नागरिक उपस्थित थे। आचार्य विद्यासागर महाराज की आहार दान देने का सौभाग्य नरेंद्र जैन गुरुकृपा परिवार राजेश रज्जन जैन एवं प्रदीप जैन दैनिक विश्वपरिवार वालो को प्राप्त हुआ।

अध्यक्ष संजय जैन नायक ने बताया कि आचार्य विद्यासागर महाराज जी ने 1967 में आचार्य देश भूषण महाराज से ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया था। कठिन साधना का मार्ग पार करते हुए 22 साल की उम्र 30 जून 1968 को अजमेर में आचार्य ज्ञान सागर महाराज से मुनि दीक्षा ली। 22 नवंबर 1972 को अजमेर में ही आचार्य की उपाधि देकर मुनि विद्यासागर से आचार्य विद्यासागर बना दिया एक आचार्य पारंपरिक रूप से निषिद्ध (जैसे आलू प्याज कंद मूल) के अलावा नमक, चीनी, फल, दूध मेवे का सेवन नहीं करते है। वह अपने हाथ की हथेली में एक दिन में एक बार भोजन जल ग्रहण करते है, एक समय में एक निवाला लेते है । इसके अलावा तेल घी हरी सब्जी चटाई आदि का भी त्याग है आचार श्री सिर्फ लकड़ी के तख्त पर एक ही करवट सोते है पूरे दिन में केवल एक ही बार आहार जल लेते है उनके विहार मतलब किस ओर जाना है वह भी पहले से तय नही होता अनीयत विहार के नाम से जाने जाते है सड़क मार्ग में निरंतर पद यात्रा कर विहार करते है आचार्य श्री द्वारा वर्तमान में भारत देश के कई जगह प्रतिभा स्थली के नाम से शिक्षण संस्थान स्वावलंबन बनाने हेतु सूती वस्त्रों के हाथ कारघा केंद्र स्वास्थ लाभ हेतु औषधि निर्माण केंद्र एवं गौशाला का कार्य उनके मार्गदर्शन से चल रहा है आचार्य श्री द्वारा अनेक साहित्य का सृजन किया गया है जिस पर कई विश्वविधालयो में शोध भी चल रहा है आचार्य श्री द्वारा संयम के मार्ग पर चलने वाले व्रतियों को मुनि दीक्षा देकर दीक्षित किया है आचार्य श्री के मंगल आशीर्वाद से कई जगहों पर जैन तीर्थ स्थलों का पुनर्निर्माण एवं नए मंदिरों का निर्माण व पुराने मंदिरों का नवीनीकरण वर्तमान में किया जा रहा है छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में चंद्रगिरी तीर्थ का निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है एवं तिल्दा में कुछ दिनों पूर्व आचार्यश्री के सानिध्य एवं मार्गदर्शन पर पीले पत्थरो से निर्मित मंदिर का पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न हुआ है।