वन्यजीव कार्यकर्ता का दावा छत्‍तीसगढ़ में आठ वनभैंसे, वनभैंसों को लेकर फैला रहे भ्रामक जानकारी

रायपुर,18 दिसम्बर  छत्तीसगढ़ में शुद्ध रक्तता का सिर्फ एक राजकीय वन भैंसा बचा है, जबकि वन विभाग छत्तीसगढ़ में आठ वन भैंसे होने का दावा करता आ रहा है। छह उदंती सीतानदी, एक जंगल में स्वतंत्र और एक वनभैंसा जंगल सफारी में है, पर जू अथारिटी के पत्र के बाद वन विभाग सकते में आ गया है। यह कहना है रायपुर के वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी का। इस पर वन विभाग का कहना है कि वन्यजीव कार्यकर्ता भ्रामक जानकारी फैला रहे हैं।

सिंघवी का आरोप है कि वन विभाग ने वन भैंसों को बाड़ा तोड़कर भागने को मजबूर किया। कुछ साल पहले वन विभाग रंभा और मेनका नामक हाईब्रिड वन भैंसा लेकर आया था। उन दोनों का परिवार बढ़ गया और सब जंगल भाग गए। पिछले तीन महीने से वे जंगल में स्वच्छंद और स्वतंत्र घूम रहे हैं। शुद्ध नस्ल के कुछ ही वन भैंसे अब हैं। ये अधिकतर समय महाराष्ट्र के गढ़चिरौली के कोलामारका कंजर्वेशन रिजर्व में रहते हैं। कभी-कभी इंद्रावती नदी पार करके वे छत्तीसगढ़ में आ जाते हैं, जबकि वन विभाग दावा करता है कि वे छत्तीसगढ़ के हैं।

उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व (गरियाबंद) के उपनिदेशक वरुण जैन ने वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी के दावे को झूठा करार देते हुए कहा है कि सेंट्रल जू अथारिटी (सीजेडए) केवल छोटू को ही शुद्ध नस्ल का वन भैंसा मानता है, यह सही नहीं है। सीजेडए ने सुझाव दिया था कि केवल शुद्ध नस्ल के भैंसों का ही ब्रीडिंग प्लान में उपयोग किया जाए। जैन ने सिंघवी पर वनभैंसों को लेकर दी जा रही जानकारी को तोड़ मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया है।

वरुण जैन ने बताया कि बारनवापारा में बाड़े में बंद वन भैंसों को उदंती में जल्दी ही छोड़ा जाना प्रस्तावित है। इंद्रावती टाइगर रिजर्व से भी दो नर वन भैंसे उदंती में ट्रांसलोकेट किये जाने हैं। उन्होंने बताया कि सालभर में 700 हेक्टेयर वन क्षेत्र अतिक्रमण मुक्त करने के साथ 100 तस्कर-शिकारियों को पकड़ा गया है।