महंगाई पर नियंत्रण के लिए ई-नीलामी के नियमों में परिवर्तन, अब दो हजार टन तक खरीदा जा सकेगा चावल

खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के लिए निर्यात पर प्रतिबंध के अलावा कई उपायों को अमल में लाया जा रहा है। इसी के तहत भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा बाजार में अनाजों की उपलब्धता बढ़ाने एवं मुद्रास्फीति को कम करने के लिए ई-नीलामी के जरिए गेहूं एवं चावल को खुले बाजार में उतारा जा रहा है।

सरकार ने बोलीदाताओं को दी छूट 

सरकार ने खरीदारी के नियमों में परिवर्तन करते हुए बोलीदाताओं को छूट दी है। अब कोई खरीदारी एक टन से दो हजार टन तक किसी भी मात्रा में चावल के लिए बोली लगा सकता है। अभी तक यह सीमा दस से एक हजार टन थी।अब तक 25 ई-नीलामी के जरिए खुला बाजार बिक्री योजना के तहत 48.12 लाख टन गेहूं बेचा गया है। हालांकि चावल के खरीदार कम मिले। इस योजना के तहत सिर्फ 1.91 लाख टन चावल ही बेचा जा सका है।

एफसीआई के पास गेहूं और चावल का पर्याप्त स्टाक

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की मांगों को पूरा करने के साथ-साथ बाजार में हस्तक्षेप के लिए एफसीआई के पास गेहूं और चावल का पर्याप्त स्टाक है। 15 दिसंबर को बफर स्टाक में केंद्रीय पूल में 364.65 लाख टन खाद्यान्न है। गेहूं 181.79 लाख टन एवं चावल 182.86 लाख टन। इसी तरह 2023-24 में अबतक 237.43 लाख टन चावल के बराबर धान की खरीदारी की जा चुकी है।

खुले बाजार में गेहूं उतारने की शुरुआत इस वर्ष 28 जून से हुई है। चावल की बिक्री बढ़ाने के लिए अब तक दो बार नियमों में बदलाव किया गया है। सबसे पहले चावल की कीमतों को 3,100 रुपये प्रति क्विंटल से घटाकर 2,900 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया। चालू वर्ष में भी समर्थन मूल्य पर धान की सरकारी खरीद अभी तक 161.47 लाख टन तक पहुंच गई है। एफसीआई ने कहा कहा है कि केंद्रीय पूल वाला चावल उत्कृष्ट गुणवत्ता का है। खुले बाजार में उपलब्धता बढ़ाने के लिए व्यापारियों को ई-नीलामी में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है। खुले बाजार में ई-नीलामी के लिए 101.5 लाख टन गेहूं आवंटित किया गया है।