इंदौर। हिंदू धर्म को मानने वालों की रामायण के प्रति गहरी आस्था है। रामायण में भगवान राम और माता सीता के जीवन के बारे में पता चलता है। इसमें सबसे चर्चित प्रसंग सीता जी के स्वयंवर का भी है। सीता स्वयंवर में एक चर्चित लोक कहानी यह है कि भगवान राम के शिव धनुष उठाने से पहले किसी ओर ने भी उसको उठा लिया था।
किसने उठाया श्री राम से पहले शिव धनुष?
रामायण के अनुसार मिथिला नरेश जनक को माता सीता भूमि से मिली थीं। यह सूचना भगवान परशुराम को मिली तो वह माता सीता को आशीर्वाद देने मिथिला पहुंचे। उन्होंने माता सीता को आशीर्वाद दिया। इस दौरान वह यह समझ गए कि यह माता लक्ष्मी का अवतार हैं।
परशुराम जी ने महाराज जनक को बताया कि माता सीता आम कन्या नहीं हैं। वह माता लक्ष्मी का अवतार हैं। यह सुन महाराज जनक परेशान हो गए। उन्होंने परशुराम जी की बात सुन कहा कि वह अब यह बताता दें कि माता सीता का विवाह किससे होना है। परशुराम जी ने शिव धनुष भगवान जनक को धमा दिया। उन्होंने कहा इस शिव धनुष को जो उठा पाएगा वह ही माता सीता से विवाह करेगा। जनक नरेश शिव धनुष को भगवान शिव के आगे रख दिया।
शिव धनुष को इस दौरान किसी भी सैनिक से उठ नहीं पा रहा था। यह देख महल के सभी सैनिकों को शिव धनुष को उठाने के लिए लगाना पड़ा। राजा जनक इस बात से परेशान हो गए कि शिव धनुष को इतने भी लोग नहीं उठा पा रहे हैं, तो कोई आम इंसान इसको अकेले कैसे उठा सकता है। भगवान परशुराम ने उनसे कहा कि खुद नारायण खुद लक्ष्मी से विवाह करने के लिए आएंगे।
समय के बीतने के साथ माता सीता महल में अपनी सहेलियों के साथ खेलने लगीं। वह जब 8 साल की थीं तो वह खेलते-खेलते शिव धनुष के पास पहुंच गईं। इस दौरान उन्होंने उसे अपने एक हाथ से ही उठा लिया, इसलिए यह माना जाता है कि भगवान राम से पहले उन्होंने ही धनुष को उठा लिया था।
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