कोरबा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भर्ती में दस्तावेज फर्जीवाड़े की शिकायत,कार्रवाई तो दूर जांच करने की जरूरत भी नहीं समझा विभाग

कोरबा,29 नवम्बर। कोरबा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भर्ती में दस्तावेज फर्जीवाड़े की शिकायत के बाद भी एकीकृत बाल विकास परियोजना ने कार्रवाई तो दूर जांच करने की जरूरत भी नहीं समझा। बल्कि आपत्ति के बाद भी संदिग्ध अभ्यर्थी को नियुक्ति दे दी गई। मामले में अब पात्र के दायरे में आ रही महिला ने पुलिस से मामले की शिकायत की है।

एकीकृत बाल विकास परियोजना द्वारा करतला विकासखंड के बरपाली तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत तरदा के भादा गांव के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की भर्ती की है, जिसमें चयनित सूची में जानकी कुमारी का नाम प्रथम स्थान पर आया। जिसे देखकर ग्रामीणों ने मय दस्तावेज परियोजना अधिकारी करतला से महिला जानकी कुमारी ने नियुक्ति के लिए फर्जीवाड़ा करने की लिखित शिकायत की। इसमें पूर्व में भर्ती के लिए विभाग को जानकी कुमारी द्वारा प्रस्तुत अंकसूची में 54 प्रतिशत अंक व वर्तमान भर्ती के लिए उसी कक्षा के अंकसूची में 87.6 प्रतिशत अंक उल्लेख होने की जानकारी दी गई। एक ही कक्षा के परीक्षा की अलग-अलग प्रतिशत वाली अंकसूची भी दिखाई गई। अधिकारियों ने इसके बाद कार्रवाई करना तो दूर शिकायत पर जांच भी नहीं कराया। उल्टे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में जानकी कुमारी की नियुक्ति कर दी। अब पात्र के दायरे में आने वाली अभ्यर्थी बबली महंत ने इस संबंध में मय दस्तावेज पुलिस से लिखित शिकायत की है। उरगा थाना में किए गए शिकायत में नियुक्ति के लिए जानकी कुमारी ने फर्जी अंकसूची प्रस्तुत करने का आरोप लगाते कार्रवाई की मांग की है। उरगा थाना प्रभारी निरीक्षक युवराज तिवारी के मुताबिक मामले की शिकायत पर जांच की जा रही है।

इस अंकपत्र में प्राप्तांक 436 दर्ज है। इस अंकपत्र में प्राप्तांक 244 दर्ज है। विवरण एक, प्राप्तांक भिन्न बबली महंत के मुताबिक गांव में पूर्व में हुई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भर्ती में जानकी बाई व उसने भी आवेदन किया था। तब नियुक्ति नहीं हो सकी थी। उस समय के अंतिम सूची में जानकी बाई के 12वीं के अंकसूची का प्रतिशत कम था। जबकि इस बार उसी कक्षा के अंकसूची का प्रतिशत ज्यादा अंकित था। ऐसे में गड़बड़ी का संदेह होने पर विभाग से सूचना के अधिकार के तहत अंकसूची की कॉपी हासिल की गई, वहीं छत्तीसगढ़ राज्य ओपन स्कूल रायपुर के पोर्टल से ऑनलाइन अंकसूची निकाली गई। जिसे देखकर वे चौक गए। दोनों ही अंकसूची हूबहू थे लेकिन उनमें वर्ष, फोटो समेत नाम व अन्य विवरण एक सामान था, लेकिन प्राप्तांक में अंतर था। विभाग में प्रस्तुत अंकसूची में अधिकतम 500 अंक में प्राप्तांक 438 तो पोर्टल से निकाले गए अंकसूची में प्राप्तांक महज 244 है।