शंघाई I कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद भी चीन के लोग राहत की ‘सांस’नहीं ले पा रहे है। कोरोना जैसी भंयकर बीमारी के बाद अब वहां एक रहस्यमयी बीमारी फैल रही है। तेज बुखार के साथ सांस फुला देने वाली इस बीमारी के कारण हजारों मासूम बच्चें अस्पताल की बेड पर पहुंच गए हैं।
एक्सपर्ट कहता है कि यह बीमारी भी कोरोना की तरह संक्रामक है, जो तेजी से एक शहर से दूसरे शहर में फैल रहा है। चीन की इस बीमारी से भारत समेत कई देशों की चिंता बढ़ गई है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक अधिकारी का मानना है कि सांस संबधित बीमारी की वृद्धि कोविड महामारी से पहले जितनी अधिक नहीं है। उन्होंने दोहराया कि हाल के मामलों में कोई नया या असामान्य रोगजनक नहीं पाया गया है।
डब्ल्यूएचओ के महामारी की तैयारी और रोकथाम विभाग की कार्यवाहक निदेशक मारिया वान केरखोव ने बताया, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि यह वृद्धि रोगजनकों से संक्रमित बच्चों की संख्या में वृद्धि के कारण हुई है, जिससे दो साल के कोविड प्रतिबंधों ने उन्हें दूर रखा है। उन्होंने कहा, हमने महामारी से पहले की तुलनाओं के बारे में पूछा और वे लहरें जो वे अब देख रहे हैं। इससे पता चलता है कि सांस संबधित बीमारी की वृद्धि उतनी नहीं जितना उन्होंने 2018-2019 के कोरोना दौर में देखा था। यह किसी नवीन रोगजनक का संकेत नहीं है।’
अधिकांश देश एक या दो साल पहले इसी समस्या से निपट चुके थे। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के प्रवक्ता मी फेंग ने रविवार को कहा कि चीन में तीव्र श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि कई प्रकार के रोगजनकों, सबसे प्रमुख रूप से इन्फ्लूएंजा के प्रसार से जुड़ी हुई है। पिछले हफ्ते चीन में सांस संबधित की तेजी से बढ़ते मामलों के बाद यह एक वैश्विक मुद्दा बन गया है।
WHO ने बच्चों में अज्ञात निमोनिया के समूहों पर एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए चीन से अधिक जानकारी मांगी थी। बता दें कि चीन और डब्ल्यूएचओ को 2019 के अंत में मध्य चीनी शहर वुहान में उभरी महामारी की शुरुआत में रिपोर्टिंग की पारदर्शिता के बारे में सवालों का सामना करना पड़ा है। डब्ल्यूएचओ ने शुक्रवार को कहा कि हाल की बीमारियों में कोई नया या असामान्य रोगजनक नहीं पाया गया है।
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