चंपारण। बिहार में पश्चिमी चंपारण के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरनाटांड़ में रविवार की सुबह एक ऐसा मरीज आया, जिसकी हरकत देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ लग गई। वह मरीज कुत्तों जैसी हरकत कर रहा था। वह लोगों को काटने के लिए तैयार था। उसके परिवारवालों ने उस व्यक्ति के हाथ पैर गमछा से बांध दिया।
कुत्तों जैसी हरकत करने वाला यह मरीज गोबरहिया थाना क्षेत्र का है। मरीज के स्वजनों ने बताया कि दो महीने पहले एक कुत्ते ने उक्त युवक को गांव के एक आवारा पागल कुत्ते ने काट लिया था।
एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाना पड़ा भारी
पागल कुत्ते के काटने से आये घाव को मामूली घाव समझकर एंटी रेबीज सुई लगवाना जरूरी नहीं समझा। कुछ दिनों बाद घाव भर गया। युवक को इसका बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उसकी यह लापरवाही एक दिन जानलेवा साबित हो सकती है। दो महीने बाद पागल कुत्ते के काटा हुआ असर दिखने को मिला।
मरीज के पिता ने बताया कि गांव में पागल हो चुके एक कुत्ते ने अब तक आठ लोगों को काटकर अपना शिकार बनाया है, जिसमें से मात्र दो ने ही एंटी रेबीज की सुई लगवाई है। बाकी सभी जड़ी बूटी का सहारा ले रहे हैं। मरीज के पिता ने आगे बताया कि बाकी सब तो फिलहाल ठीक हैं, वहीं मेरा पुत्र मनोज दो दिन पहले तक ठीक था लेकिन शनिवार से अचानक पागल जैसा बरताव करने लगा। जब उसे पीएचसी हरनाटांड़ लाया गया, तो जांच से पता चला कि उसे रेबीज़ हो गया है। रेबीज होने की बात सुनते ही स्वजन के होश ही उड़ गए।
चिकित्सक डॉ. राजेन्द्र काजी ने बताया कि रेबीज का कोई इलाज नहीं है। समय पर एंटी रेबीज का सूई लेना ही बचाव है। झाड़-फूंक और जड़ी-बूटी के चक्कर में ना पड़ें। यह संक्रमण 10 दिन से लेकर 12 साल के अंदर तक असर होता है। यह संक्रमण कुत्ता, सियार, बंदर व अन्य जंगली जानवरों के काटने से फैलता है।
मरीज को अनुमंडलीय अस्पताल में किया गया रेफर चिकित्सक ने मरीज के साथ पहुंचे उनके स्वजन व ग्रामीणों से कहा कि जिन्होंने भी एंटी रेबीज की सुई अभी तक नहीं ली है, वे शीघ्र ले लें, ताकि वे सुरक्षित रह सकें। वहीं, मरीज को बेहतर उपचार के लिए अनुमंडलीय अस्पताल बगहा रेफर कर दिया।
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