कोरबा, 20 नवम्बर I नहाय खाय से शुरू हुए आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज चौथे दिन उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया. चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है. इस दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसी के साथ छठ महापर्व का समापन हो जाता है. छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इसके बाद दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन को ऊषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है.
छठ का पर्व कोरबा जिले में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. महिलाओं द्वारा छठ का व्रत संतान की लंबी उम्र और उनके खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है. छठ का यह पर्व 17 नवंबर 2023 नहाय खाय से शुरू हुआ था और आज 20 नवंबर 2023 को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की विधि के साथ पूर्ण रूप से संपन्न हुआ। चार दिनों के चलने वाले इस पर्व में व्रती महिलाओं ने खरना के बाद से व्रत का संकल्प लिया था। यह व्रत कुल 36 घंटे का होता है। बता दें कि, यह व्रत निर्जला रखा जाता है। आज इस व्रत का पारण कर महिलाओं ने छठ के प्रसाद के साथ अन्न-जल को ग्रहण किया।
पिछले 4 दिनों से धूमधाम से छठ का पर्व मनाया जा रहा था. छठ पूजा में शामिल होने के लिए लोग अपने-अपने शहर पहुंचे, ट्रेनें खचाखच भरी थीं, तो वहीं लोग फ्लाइट का दोगुना किराया देकर भी छठ पूजा में शामिल होने अपने-अपने शहर पहुंचे. ऐसी मान्यता है कि जो एक बार छठ की पूजा शुरू करता है, उसे तब तक करना पड़ता है, जब तक दूसरी पीढ़ी से कोई व्रत को न उठाए.
चौथे दिन उषा अर्घ्य का महत्व
चार दिन का पर्व छठ पूजा का समापन उषा अर्घ्य के साथ होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ के व्रत का पारण किया जाता है. इस दिन व्रत रखने वाले लोग सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इसके बाद सूर्य देव और छठ माता से संतान के सुखी जीवन और परिवार की सुख-शांति और सभी कष्टों को दूर करने की कामना करते हैं.
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