रायपुर। छठ पर्व के दूसरे दिन उत्तर भारतीय समाज के घर-घर में लोहंडा यानी खरना परंपरा निभाई गई। शाम को महिलाओं ने गुड़, दूध, चावलयुक्त खीर का भोग छठी मइया और सूर्यदेव को लगाया। इसके पश्चात खीर-रोटी का सेवन करके निर्जला व्रत रखने का संकल्प लिया। खरना परंपरा निभाने के साथ ही महिलाओं ने छठ का व्रत शुरू कर दिया।
आज अस्त होते सूर्य को अर्घ्य
छठ पर्व के तीसरे दिन रविवार को महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखकर भक्तिभाव में रमकर शाम को नदी, तालाब के किनारे विधिवत पूजन करेंगी। पूजा करके अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देंगी। सारी रात भजन-कीर्तन करेंगी। महादेवघाट में रातभर सांस्कृतिक कार्यक्रम और लोकगीतों की प्रस्तुति से भक्तिभाव छाएगा।
20 को उगते सूर्य को अर्घ्य से समापन
छठ पर्व के चौथे दिन सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में महिलाएं नदी-तालाब में डुबकी लगाकर पुन: पूजन करके सूर्य के उदय होने का इंतजार करेंगी। जैसे ही सूर्य की लालिमा फैलने लगेगी, सूर्यदेव को अर्घ्य देने का सिलसिला प्रारंभ होगा। साथ ही छठी मइया को विविध फल, सब्जियों से अर्घ्य दिया जाएगा। इसके पश्चात ठेकुआ का प्रसाद ग्रहण करके लगभग 36 घंटे से चल रहे निर्जला व्रत का पारणा किया जाएगा।
[metaslider id="347522"]