रायपुर, 26 अक्टूबर। राज्य में दो चरणों में सात और 17 नवंबर को होने जा रहे विधानसभा चुनाव की मतगणना शांतिपूर्वक संपन्न कराने सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनज़र अर्ध सैनिक बलों की टुकड़ियों का छत्तीसगढ़ पहुंचने का सिलसिला हुआ शुरू हो चुका है। ये टुकड़ियां स्पेशल ट्रेनों के ज़रिए रायपुर पहुंच रही हैं। इस बार पूरे प्रदेश में क़रीब 10 हज़ार से ज्यादा अर्ध सैनिक बल के जवानों की तैनाती की गई है।
25 से अधिक कंपनियां पहुंचीं
विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय सुरक्षा बल के जवानों का पहुंचना पिछले एक हफ्ते से शुरू हो गया है। अब तक 25 से अधिक कंपनियां अपने जरूरी सामान और अस्त्र-शस्त्र के साथ पहुंच चुकी हैं। उपस्थिति दर्ज कराने के बाद उन्हें संबंधित जिलों में रवाना कर दिया गया है। प्रदेश में केंद्रीय सुरक्षा बल की 150 कंपनियों को विभिन्न जिलों में तैनात किया जाना है।
वाहनों का अधिग्रहण जारी
केंद्रीय सुरक्षा बल के जवानों को प्रदेशभर के अलग-अलग अतिसंवेदन और संवेदनशील मतदान केंद्रों तक पहुंचाने के लिए छोटे-बड़े वाहनों की व्यवस्था पुलिस और परिवहन विभाग मिलकर कर रहा है। परिवहन विभाग के अधिकारियों ने सभी जिलों के आरटीओ को निर्देश दिया है कि अधिगृहीत वाहनों का पीएलओ खर्च वाहन मालिक वहन करेंगे, परंतु यदि पीएलओ शासन उपलब्ध कराया जाता है तो पीएलओ का व्यय घटाकर शेष किराया का भुगतान किया जाएगा। साथ ही चालक, परिचालकों के प्रतिदिन भोजन भत्ता 375 रुपये दिया जाएगा।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए केंद्रीय फोर्स के जवानों की तैनाती की जा रही है। सात नवंबर को प्रथम चरण के होने वाले मतदान के लिए पिछले दिनों अर्धसैनिक बल के छह सौ से अधिक जवान विशेष ट्रेन से दुर्ग के मरोड़ा स्टेशन में उतरे थे। वहां से सभी जवानों को अलग-अलग क्षेत्रो में ड्यूटी करने रवाना किया गया था। ये जवान चुनाव होने तक तक मोर्चा संभालेंगे।
पहले चरण के मतदान में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सात नवंबर को पहले चरण का मतदान होना है। 20 सीटों में पहले मतदान होगा।इसमें पंडरिया, कवर्धा, खैरागढ़, डोंगरगढ़, राजनांदगांव, डोंगरगांव, खुज्जी, मानपुर-मोहला, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, कांकेर, केशकाल, कोड़ागांव, नारायणपुर, बस्तर, जगदलपुर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा, बीजापुर, कोंटा विधानसभा शामिल है। इन क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। अधिकतर इलाके नक्सल प्रभावित होने के कारण जवानों की निगाह नक्सली गतिविधियों पर भी रहेगी।
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