एनसीईआरटी द्वारा स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए गठित एक उच्च-स्तरीय समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर सी.आई. आईज़ैक (सेवानिवृत्त) ने सिफारिश की है कि प्राथमिक से लेकर हाई-स्कूल स्तर तक स्कूली पाठ्यपुस्तकों में देश का नाम इंडिया नहीं, बल्कि भारत होना चाहिए. आईज़ैक ने बताया कि समिति ने पाठ्यक्रम में “हिंदू पराजयों” पर ध्यान कम करने का भी सुझाव दिया है.
आइज़ैक ने कहा कि सात सदस्यीय समिति की “सर्वसम्मति” से की गई सिफारिश वाले सामाजिक विज्ञान के फाइनल पोज़ीशन पेपर में, जो कि एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकों की नींव रखने वाला एक प्रमुख दस्तावेज है, उसमें इसका ज़िक्र किया गया है.
यह सिफ़ारिश उस बहस में एक नया आयाम जोड़ती है जो केंद्र सरकार द्वारा 5 सितंबर को राष्ट्रपति द्वारा आयोजित जी-20 रात्रिभोज के लिए “प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया” के बजाय “प्रेसीडेंट ऑफ भारत” के नाम पर निमंत्रण भेजने के बाद शुरू हुई थी.
उससे चार दिन पहले गुवाहाटी में बोलते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि लोगों को इंडिया नहीं, बल्कि भारत नाम का इस्तेमाल करना चाहिए.
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