Delhi Pollution : दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में, जानिए डायबिटीज-हृदय रोगियों के लिए ये कितनी खतरनाक

राजधानी दिल्ली-एनसीआर में अमूमन हर साल दीपावली के बाद प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है, हालांकि इस बार दीपावली से पहले ही यहां की वायु गुणवत्ता काफी बिगड़ती हुई देखी जा रही है। रविवार की सुबह यहां वायु की गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में बनी हुई है, वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 266 दर्ज किया गया। इस तरह के प्रदूषण वाले वातावरण में सांस लेना कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिमों को बढ़ाने वाला हो सकता है।

राजधानी दिल्ली सहित पूरे एनसीआर में सभी लोगों को प्रदूषण से बचाव के लिए सुरक्षात्मक उपाय करते रहने की सलाह दी गई है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने इसे स्टेज 2 की श्रेणी में रखा है। 

इससे पहले शनिवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 248 था, पिछले 10 दिनों से यहां लगातार हवा की गुणवत्ता खराब बनी हुई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ये आपमें कई प्रकार की बीमारियों के जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती है। आइए जानते हैं कि किन लोगों के लिए इस तरह की वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाने वाली हो सकती है।

बढ़ रहा है पीएम 2.5 का असर

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया, वायु प्रदूषण के कारण हवा में सूक्ष्म कणों (पीएम2.5) का खतरा भी बढ़ रहा है, इस तरह के वातावरण में रहना आपको कई बीमारियों के प्रति संवेदनशील बना सकता है। PM2.5 युक्त हवा में सांस लेने से हृदय रोग, अस्थमा और जन्म के समय कम वजन जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। यह आपमें कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों के जोखिमों को भी बढ़ाने वाली स्थिति मानी जाती है।

इसके अलावा यदि आप पहले से ही कुछ बीमारियों जैस डायबिटीज, श्वसन रोग या हृदय की समस्याओं के शिकार रहे हैं तो वायु प्रदूषण के कारण हालात के और भी गंभीर रूप लेने का जोखिम हो सकता है।

डायबिटीज रोगियों पर प्रदूषण का दुष्प्रभाव

वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से न सिर्फ टाइप-2 डायबिटीज होने का जोखिम रहता है साथ ही पहले से ही डायबिटीज के शिकार लोगों के लिए भी ये जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती है। वायु प्रदूषण के कारण शरीर में इंफ्लामेशन बढ़ने और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचने का जोखिम रहता है। ये नकारात्मक प्रभाव रक्त शर्करा को नियंत्रित करने वाली इंसुलिन की शक्ति को कमजोर कर सकती है। 

अध्ययनों में वायु प्रदूषण को आंतों में अस्वास्थ्यकर रूप से बदलाव करते हुए भी देखा गया है, जो संभावित रूप से टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ाने वाली स्थिति है।

हृदय रोगों के लिए समस्याकारक

वायु प्रदूषण के कारण डायबिटीज के अलावा हदय की सेहत पर भी नकारात्मक असर हो सकता है। शोध से पता चलता है कि कणीय प्रदूषण के अल्पकालिक और दीर्घकालिक संपर्क दोनों ही दिल के दौरे और हृदय रोग के जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया पीएम2.5 हृदय की गति में बदलाव, कार्डियक इस्किमिया जैसी समस्याओं को बढ़ाने वाली भी हो सकती है। जिन लोगों को पहले से हार्ट की समस्या रही है उनको बचाव के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।

श्वसन रोगों का भी बढ़ जाता है खतरा

हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (पीएम2.5 ) इतने छोटे होते हैं कि वे श्वसन पथ में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं, जिससे फेफड़ों को गंभीर नुकसान होने का खतरा रहता है। ये स्थिति आंख, नाक, गले और फेफड़ों में जलन के साथ खांसी, छींक आना जैसी समस्याओं को बढ़ाने वाली हो सकती है। इसके अलावा वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहना आपके श्वसन तंत्र को गंभीर क्षति पहुंचा सकती है जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की सलाह दी जाती है।

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