रायपुर: एम्स के कनिष्ठ लेखाधिकारी योगेंद्र पटेल को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। अभी तक 27 लाख रुपए से ज्यादा का गबन पकड़ा गया है, लेकिन यह राशि पांच करोड़ से ज्यादा होने की आशंका है। इसमें कई अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत की भी आशंका है। एम्स प्रबंधन ने थाने में नामजद शिकायत दर्ज कराई थी।
दरअसल, मामला यह है कि एम्स में नौकरी छोड़ने से पहले डाक्टरों को नियमानुसार तीन महीने पहले आवेदन के माध्यम से प्रबंधन को इसकी सूचना देनी पड़ती है। जो डाक्टर इस अवधि को पूरा किए बिना बीच में नौकरी छोड़ देते हैं, तो नोटिस पीरिएड के बचे दिनों में बनने वाले वेतन की राशि का भुगतान करना पड़ता है।
एम्स के बहुत से डाक्टरों ने नोटिस पीरिएड में नौकरी छोड़ी थी। डाक्टरों से राशि लेकर नई रसीद के बदले तीन-चार वर्ष पुरानी रसीद दे दी गई और उस राशि को एम्स के खाते में जमा ही नहीं किया गया। ऐसे ही जिन डाक्टरों ने डिमांड ड्राफ्ट जमा किया था, उन्हें कुछ समय बाद लेनदेन करके डिमांड ड्राफ्ट लौटा दिया गया था।
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