गौरेला पेंड्रा मरवाही: जिले में लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं से ना तो बड़े सबक ले रहे हैं और ना ही अन्य वर्ग के लोग। शिक्षित व जिम्मेदार नागरिक समझे जाने वाले लोगों ने अपने बच्चों को बाइक व स्कूटी थमा दी है। आलम यह है कि पेंड्रा शहर के लगभग सभी स्कूलों में नाबालिग छात्र बाइक या स्कूटी में स्कूल पहुंच रहे है,
गौरतलब है की नाबालिगों का वाहन चलाना कानूनन अपराध की श्रेणी में है, पर इसकी परवाह ना तो अभिभावकों को है और ना ह शिक्षकों को । यही वजह है कि शहर में नाबालिग वाहन चालकों
की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और इन वाहन चालको के कारण हर वक्त दुर्घटनाओं का खतरा भी बना हुआ है।एक तरह पूरे राज्य में आचार संहिता लगा हुआ है वही दूसरी ओर ऐसी स्थिति निर्मित है, किसी प्रकार की कड़ी कार्यवाही देखने को नही मिल रही है,
जिससे शहर में नाबालिग वाहन चालकों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है। नाबालिग वाहन चालक शहर की सड़कों पर आसानी से नजर आ आते हैं। आने वाले दिनों में त्यौहारी सीजन को लेकर शहर की सड़कों पर भीड़-भाड़ रहेगी।
लगभग सभी स्कूलों में यह नजारा
बाइक व स्कूटी से छात्र – छात्राओं के स्कूल पहुंचने का नजारा सभी स्कूलों में देखा जा रहा है। निजी और सरकारी सभी हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूल के साइकिल स्टैंड में छात्र-छात्राओं की बाइक व स्कूटी खड़ी रहती है। हायर सेकंडरी तक में पढ़ने वाले सभी बच्चे 18 से कम की उम्र के रहते हैं। स्कूल प्रबंधन को भी यह पता होता है कि जो बच्चे बाइक या स्कूटी से आ रहे हैं, वे नाबालिग हैं। पर स्कूल प्रबंधन द्वारा ऐसा करने से मना नहीं किया जाता है।
25 हजार रुपए तक हो सकता है जुर्माना
पहले नाबालिग द्वारा वाहन चलाने पर कोई जुर्माना नहीं लगता था। पर अब 25 हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। इसके साथ ही वाहन का पंजीकरण निरस्त किया जा सकता है। गाड़ी के मालिक व अभिभावक को दोषी मानते हुए उनके ऊपर कार्रवाई भी की जा सकती है।
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही यातायात प्रभारी सिद्धार्थ शुक्ला
ने कहा कि, जुुलाई-अगस्त में स्कूलों में कैंपेन लगाया गया था। स्कूलों में समझाइश दी गई थी कि, बच्चे गाड़ियां ना चलाएं और उन्हें यातायात नियमों के बारे में जागरूक भी किया गया था। अभी जो नियमों का पालन नहीं कर रहे है उनपर चालानी कार्रवाई की जा रही है। गाड़ियों को जब्त भी किया जा रहा है। जो नाबालिग बच्चे है जो गाड़ियां चलाते मिलते है ऐसे बच्चों के पालकों को थाने बुलाकर बच्चों के सामने समझाइश दे रहे है और उन्हें छोड़ा जा रहा है। इसके बाद भी अगर दोबारा गाड़ी चलाते मिलते है तो उनपर चालानी और उचित कार्रवाई की जा रही है।
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