बुरहानपुर। मप्र और महाराष्ट्र की सीमा पर करीब 125 फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजीं मां इच्छादेवी का धाम दो राज्यों के लाखों भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। करीब पांच सौ साल पुराने इस मंदिर में चैत्र और शारदीय नवरात्र पर आस्था का मेला लगता है। जिसमें मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र (खानदेश) के पांच लाख से ज्यादा भक्त अपनी मुराद लेकर पहुंचते हैं। इनमें कई ऐसे भक्त भी होते हैं जो मन्नत पूरी होने पर मां प्रति कतज्ञता प्रदर्शित करने पहुंचते हैं। इन दिनों रोजाना पचास हजार से ज्यादा भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। सप्तमी से नौवीं के बीच यह संख्या एक से डेढ़ लाख तक पहुंच जाती है।
मंदिर का इतिहास
मां इच्छादेवी मंदिर का इतिहास करीब पांच सौ साल पुराना है। मान्यता है कि तत्कालीन मराठा सूबेदार ने मां से पुत्र प्रदान करने की इच्छा जताई थी। पुत्र की प्राप्ति होने के बाद उसने पहाड़ी पर विराजीं स्वयंभू मां इच्छादेवी के मंदिर का निर्माण कराया था और पास में एक कुएं खुदवाया था। माता के नाम पर ही इस गांव का नाम इच्छापुर भी पड़ा। बाद में सरदार भुस्कुटे के परिवार ने मंदिर तक पहुंचने के लिए 176 सीढ़ियों का निर्माण कराया था। मां इच्छादेवी के भक्तों में तत्कालीन मराठा, अंग्रेज व अन्य शासक भी रहे हैं। वर्तमान में इच्छादेवी मंदिर ट्रस्ट ने जन सहयोग से मंदिर परिसर को भव्य स्वरूप दे दिया है।
विवाह सहित कई सुविधाएं
मंदिर ट्रस्ट ने पहाड़ी के नीचे भक्तों के ठहरने के लिए धर्मशाला व पेयजल सहित अन्य प्रबंध किए हैं। काफी संख्या में लोग यहां विवाह आयोजन भी करते हैं। इसके लिए भी ट्रस्ट ने व्यवस्था की है। इसके अलावा ट्रस्ट गोशाला, स्कूल आदि का संचालन भी करता है। नवरात्र में आयोजित होने वाले मेले में मंदिर ट्रस्ट की ओर से प्रसाद वितरण किया जाता है। ट्रस्ट के संजय पावार बताते हैं कि अब मां के दर्शन के लिए परिसर में बेहतर व्यवस्था कर दी गई है। भविष्य में इस स्थान को देवी लोक के रूप में विकसित करने की योजना है।
इनका कहना है
मां इच्छादेवी मंदिर को लेकर सैकड़ों साल से मान्यता चली आ रही है कि यहां सच्चे मन से भक्त जो भी मांगते हैं माता वह देती है। यही वजह है कि यह धाम भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। इच्छा पूरी होने पर भक्त मन्नत उतार कर मां के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
- ओमप्रकाश सिंह, पुजारी।
मेरे जैसे हजारों भक्त हैं, जिन्हें मां ने मुंह मांगा वर दिया है। माता के दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। इच्छा पूरी करने वाली देवी हैं, इसलिए उनका नाम इच्छादेवी है। नवरात्र पर बड़ी संख्या में महाराष्ट्र से भी भक्त यहां पहुंचते हैं और मां के दर्शन कर कृतार्थ होते हैं।
- दिनेश चौधरी, भक्त।
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