बीएमडी मशीन द्वारा अस्थि खनिज घनत्व (बोन मिनरल डेंसिटी) की निशुल्क जांच कोलकाता के टैक्नीशियन द्वारा की जायेगी
समस्त 80 प्रकार के वात रोगों के लिये उपयोगी वातशामक काढ़ा भी निशुल्क पिलाया जायेगा।
कोरबा, 10 अक्टूबर। 12 अक्टूबर विश्व आर्थराइटिस दिवस पर लायंस क्लब कोरबा एवरेस्ट,विश्व हिंदू परिषद एवं आयुष मेडिकल एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में आयर्वेदानुसार समस्त 80 प्रकार के वात रोगों अनिद्रा-नींद न आना,अक्षि व्युदास-नेत्रों का टेढ़़ा होना, अक्षिभेद-आंखों में दर्द, अतिप्रलाप-बिना बात के निरर्धक बोलना, अरसज्ञता-रस का ज्ञान ना होना, अर्दित-मुंह का लकवा, अशब्द श्रवण-ध्वनि ना होते हुए भी शब्दों का सुनना, ओक्षेपक-हाथ पैरों को जमीन पर पीटना व बार-बार उठाना, मस्तिष्क में वातनाड़ी दूषित होने पर मिर्गी जैसे झटके आना,उच्चैः श्रुति – ऊंचा सुनना, उदरावेष्ट-पेट में ऐंठन होना, उदावर्त-पेट की गैस ऊपर की ओर आना, उरूसाद-उरूप्रदेश में अवसाद यानी शिथिलता का अनुभव होना, उरूस्तंभ-जानू हड्डी का जकड़ना, यदि दर्दनाक तेल मलने से दर्द बड़े तो उरूस्तंभ वात रोग होता है वर्ना नहीं, एकांगघात-इसमें पेशी शिथिल हो जाती है, ओष्ठभेद-होंठो में दर्द, कंठोध्वंस-गला बैठ जाना, कर्णमूल-कान की जड़ में दर्द (कान के पीछे वाला हिस्सा कंठ से कुछ पूर्व का भाग तक) कनफेड़ रोग इसी में होता है, कषायास्यता-मुंह कड़ना होना, कुब्जता-कूबड़ का होना, केशभूमिस्फुट-बालों की जड़ों में विकृति होना, खंजता-लंगड़ापन आना, गुदभ्रंश-गुदा बाहर निकलना, गुदाशूल-गुदा प्रदेश में दर्द, गुल्फ ग्रह-गुल्फ प्रदेश का जकड़ जाना (एड़ी के आसपास सात हड्डियों के समूह को गुल्फ प्रदेश कहते है), ग्रध्रसि-सायटिका का दर्द इसमें कमर के कूल्हे की हड्डी में होकर पैर तक एक सायटिका नाड़ी (ग्रध्रसि नाड़ी) में सुई की चुभन जैसा दर्द होता है, ग्रीवास्तम्भ-गर्दन का जकड़ जाना, घ्राणनाश-गंध का ज्ञान ना होना, चित्तअस्थिरता-चित्त का स्थिर न रहना, जंभाई-उबासी आना, जानुविश्लेश-जानू की संधियों का शिथिल हो जाना, जानुभेद-घुटनों के ऊपर वाली हड्डी।ये दोनों पैरो पर 1-1 होती है। इसमें टूटने जैसा दर्द होता है, तमः या तमदोष-झुंझलाहट होना, तिमिर-आंखों से धुंधला व कम दिखाई देना, त्रकग्रहपृष्ठ-पीठ व नीचे तक बैठक वाली स्थान की हड्डी त्रिकास्थी में दर्द होना, दंडक-शरीर में वात वृद्धि से पूरे शरीर की मांसपेशियों डंडे की तरह स्थिर हो जाती है, इसे दंडापतानक कहते हैं, दन्तभेद-दांतो में पीड़ा, दन्तशैथिल्प-दांतो का हिलना, दिल बैठने जैसा महसूस होना, नखभेद-नाखुनों का टूटना, नेत्रशूल-आंखों में दर्द होना, पांगुल्य-लंगड़ापन, पादभ्रंश-पैरों पर नियंत्रण ना हो पाना, पादशूल-पैरों में दर्द होना, पादसुप्तता-पैरों का सुन्न होना, पाश्वमर्द-पाश्व प्रदेश में मर्दन के समान पीड़ा होना, पिडिकोद्वेषटन-पैर की पिंडलियों में एंठन जैसा दर्द, बहरापन-कान से सुनाई न देना या बहुत कम सुनाई देना, बाक्संग-आवाज बंद होना, बाहुशोष-भुजा से अंगुली तक मांसपेशियों में दर्द एंठन व जकड़न हाँथ ऊपर ना उठना, भ्रम-चक्कर आना, भ्रूव्यदास-भौंहो का टेढ़ा होना, मन्यास्तम्भ-गर्दन के पीछे लघु मस्तिष्क के नीचे के हिस्से में जकड़न व पीड़ा, मुखशेष-गूंगापन/बोलने में असमर्थता, ललाटभेद-आंखों के उपर वाले हिस्से में पीड़ा, वंक्षणानाह-वंक्षणा प्रदेश में बंधन के समान पीड़ा होना, वक्षःस्तोद-छाती में सुई चुभने जैसी पीड़ा, वक्षोद्रघष-वक्षाप्रदेश में घिसने के समान पीड़ा, वक्षोपरोध-वक्षः स्थल की गतिया यानी फुफ्फुस व हृदय गति में रूकावट का अनुभव, वत्रमसंकोच-नेत्र में सूजन व पलकें सिकुड़ जाती है जिससे आंखे खोलने में परेशानी होने लगती है, वत्रमस्तंभ-आंखों की पलकें ऊपर-नीचे नहीं होना, वातखृड्डता-पैर व जांघ की संधियों में वात जन्य वेदना का होना, पिंडली वाली दो हड्डियों, घुटनों के नीचे वाली दो हड्डियों (जंघास्थि और अनुजंघास्थि) टखने से एड़ी तक के हिस्से के जोड़ों में दर्द और लंगड़ापन, वामनत्व – उल्टी होना, विडभेद-मल स्थान के आसपास तोड़ने जैसी पीड़ा, विपादिका-दुखी रहना, वृषणोत्क्षेप-अंडग्रंथियों का ऊपर चढ़ जाना, वेपथु-कंपकंपी होना, शंखभेद-कनपटी में दर्द, शरीर का काला होना, शरीर का रंग लाल होना, शरीर में परूषिता-शिथिलता आना, शरीर में रूक्षता-रूखापन, शिरशूल-सिरदर्द, शेफस्तंभ-मुत्रेंदियों में जकड़ाहट, श्रोणिभेद-कूल्हे वाली हड्डी में तोड़ने जैसा दर्द, सर्वांगघात-यह जन्मजात मस्तिष्क का रोग है, हनुभेद-ठोड़ी में पीड़ा, हिक्का-हिचकी एवं हृदद्रव-हृदय की अत्यधिक गति तथा द्रवता होना, के लिये वृहद निःशुल्क आयुर्वेद, योग,रक्त शर्करा जांच एवं अस्थि खनिज घनत्व (बोन मिनरल डेंसिटी) जांच चिकित्सा परामर्श एवं उपचार शिविर दिनाँक 12अक्टूबर 2023 गुरुवार को पतंजलि चिकित्सालय निहारिका रोड कोरबा में प्रातः 10 बजे से मध्यान्ह 2 बजे तक आयोजित किया गया है।
शिविर में विशेष रूप से अपनी चिकित्सकीय सेवायें प्रदान करने वाले छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञ नाड़ीवैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने शिविर के विषय में बताते हुये कहा की प्रत्येक वर्ष 12 अक्टूबर को वर्ल्ड आर्थराइटिस डे मनाया जाता हैं जिसका उद्देश्य लोगो को वात रोगों (आर्थराइटिस) के प्रति जागरूक करना है ताकि इस बीमारी से बचा जा सके। इसी तारतम्य में समस्त 80 प्रकार के वात रोगों के लिये वृहद निशुल्क आयुर्वेद योग चिकित्सा परामर्श एवं उपचार शिविर का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें वात रोगियों का त्रिविध परीक्षण कर रोगोपचार हेतु परामर्श दिया जायेगा। वात रोग का एक बड़ा कारण कैल्शियम की कमी होना भी है जिसके लिये शिविर में अस्थि खनिज घनत्व (बोन मिनरल डेंसिटी) की निशुल्क जांच बीएमडी मशीन द्वारा कोलकाता के टैक्नीशियन द्वारा की जायेगी। साथ ही समस्त प्रकार के वात रोगों के लिये उपयोगी वातशामक काढ़ा भी निशुल्क पिलाया जायेगा। साथ ही शिविर में आये वात रोगियों के लिये उपयोगी स्वास्थ्य पुस्तिका भी निःशुल्क दी जायेगी। जांच एवं परामर्श के साथ उनके लिये उपयोगी योगाभ्यास तथा प्राणायाम का व्यक्तिगत रूप से अभ्यास कराकर विशेष प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। साथ ही वात रोगियों हेतु उपयोगी जीवनशैली के बारे में भी व्यक्तिगतरूप से परामर्श देने के साथ साथ उनके लिये लाभकारी दिनचर्या, ऋतुचर्या, आहार, विहार के विषय मे व्यक्तिगतरूप से विस्तार से परामर्श दिया जाएगा।
लायंस क्लब कोरबा एवरेस्ट के अध्यक्ष लायन शिव जायसवाल एवं विश्व हिंदु परिषद के जिलाध्यक्ष नीतीश डालमिया ने अंचलवासियों से दिनांक 12अक्टूबर 2023 गुरुवार को पतंजलि चिकित्सालय निहारिका रोड कोरबा में विश्व आर्थराइटिस दिवस पर समस्त 80 प्रकार के वातरोगों के लिये आयोजित इस विशेष शिविर का लाभ उठाने की अपील की है।
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