विधानसभा चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से कराने तैनात होंगे 1180 चुनाव पर्यवेक्षक

नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि पांच राज्यों मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से कराने के लिए 1180 चुनाव पर्यवेक्षक  तैनात किए जाएंगे। आयोग ने इन प्रदेशों के प्रशासनिक, पुलिस अधिकारियों और व्यय पर्यवेक्षकों को सुझाव देने के लिए यहां शुक्रवार को एक बैठक आयोजित की जिसमें पर्यवेक्षकों से कहा गया कि वे फील्ड में आयोग की आंख-कान होते है और उन्हें निष्पक्ष तरीके से काम करना होता है।

बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमान ने आयोग के पर्यवेक्षकों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिया है कि सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को इन चुनावाओं में समान अवसर मिले और चुनाव निष्पक्ष एवं प्रलोभन मुक्त हों। इन राज्यों में इसी साल चुनाव होने हैं और आयोग इनकी राजधानियों में भी तैयारी संबंधी बैठकें कर चुका है। आयोग की विज्ञप्ति के अनुसार इन पांच राज्यों में स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराने के लिए लगभग 1180 पर्यवेक्षक तैनात किए जाएंगे।

श्री कुमार ने कहा कि आयोग इस बात पर विशेष ध्यान दे रहा है कि मतदान करने में विकलांग व्यक्तियों, वयोवृद्ध (80 वर्ष से ऊपर के) मतदाताओं और विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) की सुविधा और सहायता के लिए विशेष प्रावधान किए जाएंगे जिसमें घर से ही मतदान करने की सुविधा तथा मतदान केंद्र तक पहुंचने में सरलता जैसे उपाय शामिल हैं।

चुनाव आयुक्त अनुप चंद्र पांडे ने कहा कि चुनाव न केवल निष्पक्ष तरीके से हों, बल्कि निष्पक्ष दिखाई भी दें। उन्होंने पर्यवेक्षकों को सोसल मीडिया पर भी नजर रखने का निर्देश दिया और वहां गड़बड़ी दिखने पर सुधार की कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा। चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने पर्यवेक्षकों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उनका काम कानून और उसकी पूरी भावना के साथ आगे बढ़ें।

उन्होंने कहा कि पर्यवेक्षक निर्वाचन आयोग की आंख-कान होते हैं उन्हें शिकायतों का तुरंत निपटान करने के कदम उठाने चाहिए। आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी पर्यवेक्षकों को विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी दी जिसमें मतदान मशीन ( ईवीएम), मतदाता सूची, आदर्श चुनाव आचार-संहिता (एमसीसी), व्यय, कानूनी प्रावधान, आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) संबंधी पहल, एमसीएमसी (मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति) और सोशल-मीडिया से संबंधित एसओपी (मानक प्रकिया) संबंधी जानकारियां शामिल थीं।