याद रखें Acharya Chanakya की ये सीख! बच्चों को शिक्षित करना है तो कभी न करें ये भूल…

हर व्यक्ति चाहता है कि उसका बच्चा एक अच्छा इंसान बने और जीवन में सफलता हासिल करें। यदि आप भी अपने बच्चे को गुणवान और शिक्षित बनाना चाहते हैं तो आचार्य चाणक्य की कुछ बातों को जीवन में उतार लेना चाहिए। बच्चे को शिक्षित करते समय किन बातों की सावधानी रखना चाहिए, इस बारे में आचार्य चाणक्य ने विस्तार से जिक्र किया है।

गृहासक्त तस्य नो विद्या नो दया मांसभोजिनः।
द्रव्य लुब्धस्य नो सत्यं स्त्रैण यस्य न पवित्रता । ।

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि, जिस बच्चे के साथ घर में अधिक आसक्ति या प्रेम होता है, घर में अधिक मोह और लगाव है, उसे विद्या की प्राप्ति नहीं हो सकती। जो लोग मांस खाते हैं, उनमें दया नहीं होती है और जो लोग धन के लोभी होते हैं, उनमें सत्य नहीं होता। वहीं आचार्य चाणक्य ने कहा है कि दुराचारी, व्यभिचारी और भोग विलास में लगे रहने वाले मनुष्य में पवित्रता का अभाव रहता है।

अज्ञानी को समझाने का फायदा नहीं


आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जिस प्रकार नीम के वृक्ष को दूध और घी से सींचने पर भी उसमें मिठास पैदा नहीं होती, उसी प्रकार दुर्जन व्यक्ति अनेक प्रकार से समझाने-बुझाने पर भी सज्जन नहीं हो पाता। आचार्य चाणक्य के मुताबिक, जिस तरह कुछ शारीरिक क्रिया मनुष्य के नियंत्रण से बाहर होती हैं, इसी प्रकार लंबे अभ्यास के परिणाम स्वरूप पड़े संस्कारों के कारण कुछ मानसिक क्रिया भी मनुष्य के वश से बाहर हो जाती हैं।

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