नई दिल्ली। चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग के बाद भारत ने इतिहास रच दिया था। इसी के साथ चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला भारत पहला देश बन गया। चांद पर सफल लैंडिंग के बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने अभूतपूर्व कार्य करते हुए कई अहम चीजों को लेकर खुलासे किए।
हालांकि, चांद के दक्षिणी हिस्से पर अंधेरा होने के बाद से विक्रम और प्रज्ञान दोनों स्लीप मोड में ही हैं और अब तक एक्टिव नहीं हो सके हैं। 23 अगस्त को लैंडिंग के बाद यह दूसरी बार है जब सूर्य अस्त होने से चांद पर अंधेरा छाया है और लैंडर-रोवर फिर से एक्टिव नहीं हो सके। दोनों को एक लूनर डे (14 दिन) तक ठीक रहने के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन अभी भी लोगों और इसरो को इसके एक्टिव होने की उम्मीद है।
बता दें कि सितंबर के पहले हफ्ते में जब दोनों को स्लीप मोड में डाला गया था तो यह माना जा रहा था कि 20 से 22 सितंबर तक यह जाग जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इसरो के वैज्ञानिकों की मानें तो वो अंतिम दिन तक इसके जागने का इंतजार करने वाले हैं। उनका कहना है कि लैंडर और रोवर के जागने से एक बार फिर नया प्रयोग करने का मौका मिल सकेगा। लैंडर और रोवर को इसरो ने स्लीप मोड में इसलिए डाला क्योंकि लैंडर और रोवर में बैटरी लगी है जिसे सूर्य से पॉवर मिलती है। इस समय चांद पर अंधेरा होने के चलते दोनों को स्लीप मोड डाला गया था।
चंद्रयान 3 को चांद पर क्या मिला
विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की मदद से अब तक इसरो को चांद पर ऑक्सीजन (O), सल्फर (S), एल्युमिनियम (Al), कैल्शियम (Ca), आयरन (Fe), क्रोमियम (Cr), टाइटेनियम (Ti), सिलिकान (Si), मैगनीज (Mn) मिला है। इस मिशन से यह भी पता चला कि चांद पर तापमान शून्य से 70 डिग्री तक होता है, जिसका अनुमान पहले 30 डिग्री तक होने का था।
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