CG News :मोदी सरकार ने मना कर दिया तो भूपेश सरकार ने अपने दम पर दे रही आवास : कांग्रेस

रायपुर, 25 सितम्बर  आवास न्याय योजना का विरोध भाजपा की गरीब विरोधी सोच को उजागर करता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के 7 लाख आवासहीनों को जबरिया रोक रखा है। उनको स्वीकृति नहीं दी जा रही थी, भाजपा की उसी गरीब विरोधी सोच के कारण भूपेश सरकार ने आवास न्याय योजना शुरू की हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से बार- बार आग्रह किया कि छत्तीसगढ़ के लोगों के आवास की स्वीकृति दिया जाये लेकिन प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के लोगों की मांग को नही मानी तब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने दम पर गरीबों के लिये योजना शुरू की। इस योजना में 2011 की सर्वे सूची के अलावा 47000 नये लोगों को भी आर्थिक गणना करवा कर जोड़ा गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के हाथों आवास न्याय योजना की 1000 करोड़ की पहली किश्त 7 लाख आवासहीनों के खातों में पहुंच गयी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अभी प्रधानमंत्री आवास योजना का आवंटन 2011 के सर्वे सूची के आधार पर हो रहा है 10 साल में होने वाले जनगणना के कार्यक्रम होते तो अब तक प्रदेश के कई गरीबों का नाम आर्थिक सर्वेक्षण सूची में जुड़ता और उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिलता लेकिन भाजपा गरीब विरोधी है इसीलिए जनगणना नहीं करवाई है और गरीबों को आवास की योजना से वंचित रखा है। इसीलिये भूपेश सरकार ने आर्थिक गणना करवाया और 47000 से अधिक नये आवासहीनों को ओर जोड़ा गया।

उन्होंने कहा कि 7  लाख से अधिक गरीबों को मकान दिया गया तो भाजपा के पेट मे दर्द क्यो हो रहा है? भाजपा के 9 सांसदों ने पीएम आवास के शेष हितग्राहियों को आवास दिलाने में रुचि क्यो नही दिखाई? मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार में पौने 5 साल में ग्रामीण एवं शहरी मिलाकर 14 लाख 38 हजार 823 मकान स्वीकृत हुये जबकि रमन सरकार के दौरान पौने चार साल में ग्रामीण एवं शहरी मिलाकर मात्र 2 लाख 37 हजार मकान स्वीकृत हुआ था। प्रतिवर्ष के अनुसार देखा जाए तो भूपेश सरकार के पौने 5 साल में प्रति वर्ष 2 लाख 80 हजार मकान बने जबकि रमन सरकार के पौने चार साल में प्रति वर्ष मात्र 59 हजार मकान ही बने थे। भूपेश सरकार ने गरीबो के मकान बनाने अब ग्रामीण एवं शहरी मिलाकर 8489 करोड़ रुपया से अधिक की राशि जा रही कर चुके है। जबकि रमन सरकार के पौने चार साल में मात्र 272 करोड़ राज्यांश दिया गया था।

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