Yellow Nail Syndrome: येलो नेल सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जिसमें पैरों और हाथों के नाखून पीले पड़ने लगते हैं। ज्यादातर लोगों के हाथों के नाखूनों में इसका असर देखने को मिलता है। येलो नेल सिंड्रोम किसी भी उम्र के लोगों में हो सकता है, हालांकि ये 50 से अधिक के उम्र के लोगों में ज्यादा देखने को मिलता है। जिन लोगों को येलो नेल सिंड्रोम होता है, उन्हें पलमोनरी और लिम्फेटिक सिस्टम में समस्या होती है।
येलो नेल सिंड्रोम होने का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल सका है, लेकिन इसके होने के कई कारण हो सकते हैं। लिम्फेटिक सिस्टम में गड़बड़ी और सांस लेने में तकलीफ के अलावा कुछ पोषक तत्वों की कमी के कारण भी येलो नेल सिंड्रोम हो सकता है। येलो नेल जैसी समस्या कुछ बीमारियों की ओर संकेत करती है, जिन्हें समय पर जान लेना जरूरी है।
लिम्फेटिक सिस्टम में समस्या
लिम्फेटिक सिस्टम शरीर में संक्रमण को दूर करने में मदद करता है। साथ ही यह शरीर के बॉडी फ्लूइड को संतुलित रखता है। अगर ये ठीक से काम न करे, तो लिम्प नोड्स में सूजन आ जाती है, जिसे लिम्फेडेमा कहा जाता है। इससे अन्य समस्याएं जैसे कैंसर भी हो सकता है।
सांस की बीमारी
जिन लोगों को सांस की बीमारी होती है, जैसे क्रोनिक ब्रोंकाइट्स, साइनासाइटिस उन लोगों में येलो नेल सिंड्रोम ज्यादा देखने मिलता है।
फंगल इन्फेक्शन का खतरा
कई बार फंगल इन्फेक्शन के कारण, जिसे ओनिकोमाइकोसिस के नाम से जाना जाता है इसमें नाखून पीले, मोटे और टूटने लगते हैं। कई बार कुछ केस में नाखूनों पर पीले धब्बे भी देखने को मिलते हैं। शुरुआत में यह सिर्फ इन्फेक्शन की जगह पर होते हैं, फिर धीरे-धीरे फैलने लगते हैं।
अन्य हेल्थ कंडीशन्स
नाखूनों में पीले स्पॉट होने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे नेल सिरोसिस, येलो नेल सिंड्रोम और कुछ केस में थायरायड होने पर भी नाखूनों में पीले धब्बे नजर आते हैं।
ऑटोइम्यून डिसॉर्डर
कुछ ऑटोइम्यून डिसॉर्डर के कारण भी नाखूनों का रंग पीला पड़ सकता हैं।
बायोटिन की कमी
कई बार बायोटिन यानी विटामिन-बी की कमी के कारण नाखूनों का रंग पीला पड़ जाता है।
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