महासमुंद,12 सितम्बर । नरवा शब्द से आशय यह है कि छत्तीसगढ़ में नालों को नरवा कहा जाता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप समस्त नरवा का उपचार हेतु नरवा मिशन प्रारंभ किया गया है। इस योजना के तहत राज्य के नालों पर चेकडेम बना कर पानी रोकना तथा उस पानी को खेतों की सिंचाई के लिये उपलब्ध कराना है। इसके अलावा नालों के जरिये बरसात का जो पानी बह जाता है, उसे रोक कर भूगर्भीय जल को रिचार्ज करना है।
महासमुंद जिले में स्थित भिखारी नरवा को उपचार की आवश्यकता थी। इस योजना के तहत नदी-नालों के पुनर्जीवन से किसानों को सिंचाई के लिए जहां भरपूर पानी मिलेगा वहीं किसान दोहरी फसल भी ले सकेंगे। नरवा कार्यक्रम के तहत् वैज्ञानिक पद्धति से उपचार और वर्षा जल के संचयन करने अनेक स्थानों पर स्टॉप डैम, कंटूरबण्ड आदि संरचनाएं बनाए गए। वर्षा जल के संचयन और नदी नालों के उपचार से आसपास के क्षेत्र की मिट्टी में नमी बढ़ी साथ ही फसलों की सिंचाई के लिए जल उपलब्ध हुआ।
वनमंडलाधिकारी पंकज राजपूत ने जानकारी दी कि वर्षा जल के संचयन से भूजल स्तर में भी वृद्धि होगी। नदी नालों के पुनर्जीवन की योजना के पूर्ण होने से न केवल इसके दूरगामी जनहितकारी परिणाम निकलेंगे, बल्कि जल संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में यह योजना मील का पत्थर साबित होगा। जिले के कई क्षेत्र में छोटे-छोटे नदी नाले है जिनके जल संसाधन का उपयोग नहीं हो सका है पहले ऐसे नदी नालों में वर्ष के छह से आठ महीने भरपूर पानी रहता था, परंतु वर्तमान में अनवरत भूगर्भीय, जल दोहन से इनके जल भराव की क्षमता घट गई है। फलस्वरूप ये नदी-नाले सूखे मौसम के आने से पहले ही सूख जाते हैं।
भिखारी नरवा उपचार अंतर्गत किये गये कार्य
नरवा विकास योजना के अंतर्गत महासमुंद वन मंडल के वन परिक्षेत्र महासमुंद अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 में महासमुन्द परिक्षेत्र के सिरपुर परिवृत्त अंतर्गत कक्ष क्रमांक 06, 26, (800, 804, 809 वीवीएन) भिखारी नाला को उपचारित किया गया है। भिखारी नाला की कुल लम्बाई 6.40 कि.मी एवं जल संग्रहण क्षेत्र का रकबा 790.000 हेक्टेयर वन क्षेत्रफल का भू-जल संरक्षण एवं मृदा क्षरण उपचार किया गया है। उपचार के लिए लूज बोल्डर चेकडैम, ब्रशवुड चेकडेम, स्टाप डेम, फॉर्म पोंड, कंटूर बण्ड, कंटूर ट्रेंच एवं 30-40 मॉडल आदि कुल 698 संरचनाओं का निर्माण किया जा चुका है।
भिखारी नाला उपचार से रोजगार और सिंचाई के साधन बढ़े
भिखारी नाला के उपचार कार्य में ग्राम पंचायत लहंगर के ग्रामवासियों को 14181 दिवस (सृजित मावन दिवस) के आधार पर 95 ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध हुआ। उक्त निर्मित संरचना से ग्राम में लगभग 3.500 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई हो रही है। जिससे लगभग 13 से 15 किसान लाभान्वित हो रहे हैं। साथ ही कोडार नाला के जल स्त्रोतों को पुनर्जीवन प्रदान किया गया। आज नरवा विकास योजना ने कोडार नाला के जल स्त्रोतों के उपचारित करने से भूमिगत जल स्तर में सुधार एवं मृदा क्षरण रोकने में महती भूमिका निभा रही है। भू-जल स्तर, सिंचाई के रकबे की वृद्धि के साथ जैव-विविधता की स्थिति बेहतर हो रही है। वन्य प्राणियों के वन क्षेत्र के बाहर आबादी क्षेत्रों में विचरण में कमी हुई है जिसके कारण वन्य प्राणी मानव द्वंद की घटनाओं में कमी आई है। उक्त उपचार से वन क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध होने से वन्य प्राणियों के लिए अत्यधिक लाभदायक सिद्ध हुआ है, साथ ही साथ योजना से सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि होने से अब किसान भी रबी फसल एवं अन्य फसल लेने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं।
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