टीनएज स्मोकिंग बन सकती है जेनेटिक डैमेजिंग की वजह, आने वाली पीढ़ी पर पड़ता है इसका बुरा असर- स्टडी

किशोरावस्था (टीनएज) में धूम्रपान करना एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। टीनएज में धूम्रपान करने से न सिर्फ उस व्यक्ति को नुकसान पहुंचता है, बल्कि इससे आने वाली पीढ़ी भी प्रभावित होती है। हाल ही में किए गए एक रिसर्च ने इस गंभीर स्थिति पर प्रकाश डाला है कि टीनएज में धूम्रपान करने से जेनेटिक डैमेज (आनुवंशिक क्षति) हो सकता है। इस लेख में हम इसी के बारे में विस्तार से जानेंगे। 

अध्ययन का निष्कर्ष

रिसर्चर की एक टीम द्वारा किए गए एक हालिया रिसर्च में सबूत मिला है कि टीनएज में स्मोकिंग करने से आनुवंशिक क्षति यानी जेनेटिक डैमेज हो सकता है। एक प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च में टीनएज स्मोकिंग करने वालों के डीएनए का विश्लेषण किया गया और उसी आयु वर्ग के धूम्रपान न करने वालों के डीएनए से तुलना की गई। रिसर्च के परिणामों से पता चला कि टीनएज स्मोकिंग करने वालों के डीएनए में जेनेटिक म्यूटेशन (आनुवंशिक उत्परिवर्तन) और परिवर्तन की घटनाएं काफी ज्यादा थीं, विशेष रूप से धूम्रपान करने वाले लड़कों में कोशिका वृद्धि, मरम्मत और प्रजनन के लिए जिम्मेदार जीन में ज्यादा परिवर्तन देखने को मिला।

भविष्य की पीढ़ी पर पड़ने वाला प्रभाव

इस रिसर्च के सबसे चिंताजनक पहलुओं में से एक यह था कि इस तरह की स्मोकिंग से भविष्य की पीढ़ियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। टीनएज लड़कों में धूम्रपान से होने वाली आनुवंशिक क्षति संभावित रूप से इन युवा धूम्रपान करने वालों की संतानों को हो सकती है। जब प्रजनन के लिए जिम्मेदार जनन कोशिकाओं में जेनेटिक म्यूटेशन (आनुवंशिक उत्परिवर्तन) होते हैं, तो जोखिम होता है कि ये म्यूटेशन (उत्परिवर्तन) अगली पीढ़ी में चले जाएंगे। इससे संतानों में जन्म दोष, डेवलपमेंट डिसऑर्डर और कई बीमारियों से ग्रसित होने का खतरा बढ़ जायेगा।

जेनेटिक डैमेज का गणित

ऐसा माना जाता है कि टीनएज में धूम्रपान करने से शरीर में ढेर सारे हानिकारक केमिकल चले जाते हैं। कुछ केमिकल तो कैंसर पैदा करने वाले होते हैं। ये केमिकल म्यूटेशन पैदा करके और डीएनए मरम्मत की सामान्य प्रक्रियाओं को बाधित करके डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलाव धूम्रपान से होने वाला ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन DNA डैमेज को और बढ़ा सकते हैं। जैसे-जैसे समय बीतता है वैसे-वैसे ये जेनेटिक बदलाव इकट्ठा हो सकते हैं और संभावित रूप से व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य के साथ-साथ स्वस्थ बच्चे पैदा करने की उनकी क्षमता को भी प्रभावित कर सकते हैं।

टीनएज स्मोकिंग को रोकना

टीनएज के लड़कों में धूम्रपान की आदत को रोकने के लिए माता-पिता, स्कूलों, हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को शामिल करते हुए एक बहुआयामी दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है। इन जरूरी स्टेप्स के जरिए टीनएज लड़कों में स्मोकिंग को रोका जा सकता है और साथ ही इसके लॉन्ग टर्म प्रभाव को भी। 

1- शिक्षा: स्कूलों और समाज में शिक्षा कार्यक्रम धूम्रपान के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ा सकते हैं। 

2- सहयोग भरा माहौल: घर पर ऐसा माहौल बना कर रखना चाहिए जहां पर मां बाप अपने बच्चे से स्मोकिंग से जुड़े खतरों के बारे में बात कर सकें। 

3- प्रतिबंध: कानून निर्माताओं को नाबालिगों को तंबाकू उत्पादों की बिक्री और मार्केटिंग पर सख्त नियम लागू कर सकते हैं।

टीनएज स्मोकिंग और जेनेटिक डैमेज के बीच कनेक्शन बताने वाला हालिया अध्ययन चिंता का विषय है। किशोरों को इन जोखिमों के बारे में शिक्षित करके, एक सहायक माहौल बनाकर और प्रभावी रोकथाम रणनीतियों को लागू करके, हम टीनएज स्मोकिंग के ट्रेंड को कम करके वर्तमान और भविष्य दोनों पीढ़ियों के स्वास्थ्य और कल्याण को बेहतर बना सकते हैं।