आजादी के बाद पहली बार खुला आदिवासी बालिका छात्रावास, छात्राओं की पढ़ाई लिखाई होगी आसान

कांकेर,01 सितम्बर । जिले के आदिवासी बहुल गांव कंदाड़ी में पहली बार आदिवासी बालिकाओं की शिक्षा के लिए आदिवासी विकास विभाग ने पहल की है। यहां ग्रामीणों के लंबे वक्त तक संघर्ष करने का नतीजा दिखाई दे रहा है। आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त एल.आर कुर्रे के निर्देश पर संयोजक मंडल के सोपसिंग नेताम ग्राम पंचायत कंदाड़ी पहुंचे। जहां उन्होंने आदिवासी बालिका छात्रावास खोलने की तैयारी शुरू कर दी है। छात्रावास भवन निर्माण नहीं होने के कारण इन आदिवासी बालिकाओं को गांव के ही सामुदायिक भवन में रहकर पढ़ाई लिखाई पूरी कराने की व्यवस्था की गई है।

नक्सलियों का भय बताकर सरकार ने नहीं दिया ध्यान

पखांजूर तहसील के छोटेबेठिया इलाके में नक्सलियों का दबदबा रहा है, लेकिन कंदाड़ी गांव के आदिवासी लंबे अरसे से बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं की मांग के लिए आवाज बुलंद करते रहे हैं। अब जब गांव में आदिवासी बालिका छात्रावास खोला गया है। इसका आसपास के अनेक गांवों के आदिवासी छात्राओं को फायदा होगा। उन्हें अब नदी पार करके पढाई के लिए छोटेबेठिया जाने की जहमत नहीं उठानी पड़ेगी। आदिवासी समुदाय के युवा सामाजिक कार्यकर्ता अजित नुरूटी ने छात्रावास खुलने पर जिला प्रशासन का आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह काम सालों पहले हो जाना चाहिए था लेकिन देर से ही सही आदिवासियों को इसका फायदा मिलेगा।

जल्द भवन निर्माण कराने की उम्मीद

वहीं, छात्र संघ के सोमा नुरूटी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में आदिवासी बच्चों के लिए हॉस्टल भवन निर्माण कर उन्हें पूरी सुविधाएं दी जाएंगी। ताकि आदिवासी बच्चे अपना भविष्य उज्जवल कर सकें।

आदिवासियों का संघर्ष

एक और सामाजिक कार्यकर्ता गज्जू पद्दा ने बताया कि कंदाड़ी गांव बरसात के दिनों में टापू बन जाता है। लोगों के पास जान जोखिम में डालकर जीवन यापन के लिए संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे में अब प्रशासन को मूलभूत सुविधाओं के लिए ध्यान देना चाहिए।