दिल्ली। बीते कुछ माह से मणिपुर में जारी हिंसा के बीच मंगलवार को पहली बार एक दिवसीय विधानसभा सत्र का आयोजन किया जा रहा है। विधानसभा सत्र के दौरान राज्य में जारी हिंसा पर चर्चा हो सकती है और विपक्ष हंगामा कर सकता है। रतलब है कि मणिपुर विधानसभा का बजट सत्र इस साल फरवरी-मार्च के दौरान बुलाया गया था। इसके बाद 3 मई को हुई हिंसा के कारण मानसून सत्र को आगे बढ़ा दिया गया था। राज्य के विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यब्रत सिंह ने कहा कि एक दिवसीय सत्र में राज्य की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक, एक दिवसीय सत्र में मौजूदा जातीय संकट पर कुछ प्रस्ताव अपनाए जाने की संभावना है। वहीं कांग्रेस का आरोप है कि एक दिवसीय सत्र लोगों के हित में नहीं है और इसकी अवधि ज्यादा होना चाहिए। आपको बता दें कि मणिपुर में मैतेई समुदाय और विपक्षी दलों ने विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग की थी। संविधान के अनुच्छेद 174 के अनुसार, विधानसभा सत्र अपनी अंतिम बैठक से 6 माह के भीतर बुलाया जाना चाहिए।
सत्र में शामिल नहीं होंगे 10 विधायक
राज्य में कुकी-जोमी आदिवासी निकायों ने एक दिवसीय विधानसभा सत्र का विरोध किया है। कुकी और जोमी आदिवासी समुदाय के करीब 10 विधायक विधान सभा सत्र में हिस्सा नहीं लेंगे। विधायकों का कहना है कि उनके लिए मैतेई बहुल इम्फाल घाटी की यात्रा करना असुरक्षित होगा, जहां विधानसभा स्थित है। वहीं दूसरी ओर नगा विधायकों के सत्र में शामिल होने की संभावना है। कुकी जोमी समाज ने राज्यपाल से विधानसभा सत्र स्थगित करने का अनुरोध किया था, लेकिन सरकार ने मांग नहीं मानी।
मणिपुर में स्थिति नियंत्रण में
मणिपुर में 2 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन ऑफ मणिपुर की एक रैली के बाद हिंसा भड़क उठी, जिसमें 170 लोगों की मौत हो गई। मणिपुर पुलिस के मंगलवार को जानकारी दी कि कई जिलों में तलाशी अभियान के दौरान 6 हथियार, 5 गोला बारूद और विस्फोटक बरामद किए गए थे।
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