बेंगलूरू। चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर ‘प्रज्ञान’ रोज नए-नए अपडेट पृथ्वी पर भेज रहा है। इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को बताया कि 27 अगस्त, 2023 को रोवर को अपने स्थान से तीन मीटर आगे चार मीटर व्यास का गड्ढा मिला। इसके बाद रोवर को वापस लौटने का निर्देश दिया गया। यह अब सुरक्षित रूप से एक नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।
इससे पहले चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर में लगे चास्टे उपकरण ने चंद्रमा के तापमान से जुड़ी पहली जानकारी भेजी थी। इसके अनुसार चंद्रमा पर अलग-अलग गहराई पर तापमान में काफी अंतर है। चंद्र सतह जहां करीब 50 डिग्री सेल्सियस जितनी गर्म है, वहीं सतह से महज 80 मिमी नीचे जाने पर तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। चंद्रमा की सतह एक ऊष्मारोधी दीवार जैसी है, जो सूर्य के भीषण ताप के असर को सतह के भीतर पहुंचने से रोकने की क्षमता रखती है।
कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि यह एक संकेत भी है कि चंद्र सतह के नीचे पानी के भंडार हो सकते हैं। इसरो ने रविवार को इस नई जानकारी के बारे में लिखा था कि ‘विक्रम’ लैंडर ने चंद्र सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट यानी चास्टे उपकरण ने दक्षिणी ध्रुव के निकट चंद्रमा की ऊपरी परत के तापमान की प्रोफाइल बनाई है। इसके जरिए चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने में मदद मिल सकती है।
विक्रम लैंडर पर लगे ChaSTE पेलोड से हमें क्या पता चला
इसरो ने जो ग्राफ शेयर किया है उसके अनुसार चंद्रमा की सतह का तापमान 70 डिग्री सेल्सियस है।
गहराई में जाने पर तापमान तेजी से गिरता है। 80 मिलीमीटर भीतर जाने पर तापमान -10 डिग्री तक गिर जाता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसा लगता है कि चंद्रमा की सतह गर्मी को बनाए रखने में सक्षम नहीं है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक ने जताया आश्चर्य
ग्राफिक चित्रण के बारे में इसरो वैज्ञानिक बीएचएम दारुकेशा ने बताया कि हम सभी मानते थे कि सतह पर तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन यह 70 डिग्री सेंटीग्रेड है। यह आश्चर्यजनक रूप से हमारी अपेक्षा से अधिक है।
वैज्ञानिक दारुकेशा ने कहा कि जब हम पृथ्वी के अंदर दो से तीन सेंटीमीटर जाते हैं, तो हमें मुश्किल से दो से तीन डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता दिखाई देती है, जबकि वहां (चंद्रमा) यह लगभग 50 डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता है। यह दिलचस्प बात है। वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रमा की सतह से नीचे तापमान शून्य से माइनस 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है। उन्होंने कहा कि भिन्नता 70 डिग्री सेल्सियस से माइनस 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक है।
इसरो ने कही यह बात
इसरो ने कहा कि पेलोड में तापमान को मापने का एक यंत्र लगा है, जो सतह के नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है। ग्राफ विभिन्न गहराई पर चंद्र सतह या सतह के तापमान में भिन्नता को दर्शाता है, जैसा कि जांच के दौरान दर्ज किया गया था। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में यह पहली ऐसी जानकारी सामने आई है। इसका विस्तृत अध्ययन अभी जारी है। इसरो द्वारा जारी ग्राफ में दिखाया में दिखाया गया है कि ChaSTE पेलोड जैसे-जैसे गहराई की ओर बढ़ता है चंद्रमा की सतह के तापमान में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है।
क्या है ChaSTE?
विक्रम लैंडर पर लगा ChaSTE दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान को मापता है। इसकी मदद से चंद्रमा की सतह के तापीय गणित को समझा जा सकेगा। ChaSTE पेलोड तापमान जांचने का एक यंत्र है, जो एक नियंत्रित प्रवेश तंत्र की मदद से 10 सेमी की गहराई तक पहुंच सकता है। पेलोड में 10 अलग-अलग तापमान सेंसर लगे हैं। इसरो ने जो ग्राफ शेयर किया है, वह अलग-अलग गहराइयों पर दर्ज किए गए चांद की सतह या निकट सतह के तापमान में अंतर को दर्शाता है। यह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर की गई पहली जांच है। भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है। इसरो ने कहा कि ‘ChaSTE’ पेलोड को भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) अहमदाबाद के सहयोग से इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (एसपीएल) के नेतृत्व वाली एक टीम द्वारा विकसित किया गया था।
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