सावन के आखरी सोमवार जिले के अलग अलग क्षेत्रों में निकले साप, घर में निकले नाग का नारियल दूध चढ़ा किया पूजा पाठ, जितेन्द्र सारथी ने किया लगातार रेस्क्यू

कोरबा,28 अगस्त I जिले में सावन माह के आखरी सोमवार को साप निकलने की मानो झड़ी लग गई साथ ही आस्था और विश्वास में लोगों ने पूजा पाठ भी किया, बारिश अचानक थम जानें से मौसम ही पूरा बदल गया हैं, वहीं जमीन में रेंगने वाले सर्प भी लगातार निकलने का सिलसिला चल रहा , वाइल्डलाइफ रेस्क्यू टीम अध्यक्ष जितेन्द्र सारथी ने बताया आखरी सोमवार को हमें सुबह से ही जिले के अलग अलग क्षेत्रों में रेस्क्यू कॉल आने लगा, सुबह आंख भी ठीक से खुला भी नहीं था की रविशंकर नगर , कुसमुंडा भिलाई बाज़ार, ढेलवाडीह, दादर, पुराना काशीनगर, सीएसईबी, शारदा विहार, मिशन रोड से घर में साप निकलने की झड़ी सी लग गई, एक एक कर सभी रेस्क्यू कॉल तक पहोंच कर रेस्क्यू किया गया, वहीं कुछ साप पहुंचने से पहले भाग चुके थे, वहीं रविशंकर नगर में के एम देवांगन के घर सुबह नाग निकलने से डर समाया था वहीं दुसरी ओर आस्था के रुप में भी देखा गया जिसके बाद नारियल अगरबत्ती जला कर पूजा पाठ किया गया, फिर बेबी कोबरा को रेस्क्यू कर डिब्बे में बंद किया गया वहीं दुसरी घटना दादर की हैं जहां नाग निकलने पर आस पास के लोग इकट्ठा होकर नारियल, दूध चढ़ा कर पूजा पाठ किया, फिर उसे भी रेस्क्यू कर डिब्बे में बंद किया गया साथ ही लोगों के द्वारा रेस्क्यू टीम का धन्यवाद ज्ञापित किया गया फिर रेस्क्यू किए गए साप को जंगल में छोड़ दिया गया।

जितेन्द्र सारथी ने आम जनों से अपील करते हुए कहा घर गाड़ी कार्यालय में साप घुसने पर बहुत ज्यादा भयभीत न हो, साधारण साप घुसने पर स्वयं ही उसको बिना नुकसान पहुंचाए भगाने का प्रयास करें, रेस्क्यू टीम अलग अलग क्षेत्रो के साथ और विशेष कार्यक्रम में रहते हैं, जिसके कारण पहुंचने में समय लगता हैं, अमूमन देखा गया हैं लोग पिटपिटी , ढोडिया, छोटे धमाना, मोनिटर लिजार्ड के लिए भी फोन कर तुरंत पहुंचने की बात कहते हैं, जिसके रेस्क्यू करना किसी भी तरह से उचित नहीं, यह सब साप बिना जहर वाले साप हैं, किसी भी प्रकार से इससे कोई खतरा नहीं रहता बल्की यह सब हमारे आस पास के चूहे छिपकली को खा कर इनकी संख्या बढ़ोतरी को नियंत्रित करते हैं। जितेन्द्र सारथी ने बताया कई बार कॉलर का बार बार फोन आने से जल्दी पहुंचने के दबाव बनाया जाता हैं जिसके कारण दुर्घटना घट चुकी हैं, हम अपनी ज़िम्मेदारी बखूबी निभाते हैं पर थोड़ा आम जनों को भी हमारे स्तिथि परस्तिथि को भी समझने की आवश्कता हैं।