कोरबा, 23 अगस्त । दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में जुडो एवं मार्सल आर्ट के अलावा ताइक्वांडो का सतत प्रशिक्षण दिया जा रहा है ।जिसमें विद्यालय की छात्र- छात्राओं को विशेष रूप से आत्मरक्षा के गुण एवं ताइक्वांडो एवं मार्शल आर्ट के पैंतरे सिखाए जा रहे हैं ।जिससे वे कठिन से कठिन परिस्थिति में भी वे अपनी रक्षा कर सकें। इंडस की छात्राओं को आत्मरक्षा का ये प्रशिक्षण लीलाराम यादव के द्वारा दिया जा रहा हैं।
गौरतलब है कि इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने छत्तीसगढ़ स्टेट लेवल ताइक्वांडो चैंपियनशिप में अपनी जीत का परचम लहराया। इस प्रतियोगिता का आयोजन अग्रवाल पब्लिक स्कूल रायपुर में दिनांक 19, 20 एवं 21 अगस्त को किया गया । इस प्रतियोगिता में इंडस पब्लिक स्कूल दीपका की छात्राएं रितु वर्मा, गोल्डी अग्रवाल एवं लक्ष्मी अग्रवाल ने भाग लिया। रितु वर्मा ने अपनी प्रतिद्वंद्वी को धूल चटाते हुए छत्तीसगढ़ स्टेट लेवल चैंपियनशिप के स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। साथ ही गोल्डी अग्रवाल को रजत पदक तथा लक्ष्मी अग्रवाल को कांस्य पदक प्राप्त हुआ।इस प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के रूप में टी. एस. सिंहदेव (उप मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन ) एवं अनिल द्विवेदी (जनरल सेक्रेटरी ताइक्वांडो संघ) तथा महेश दास (ट्रेजर)एव रतनलाल डांगी जी (आई. जी. छत्तीसगढ़ उपस्थित) थे।
इस विषय में लीलाराम यादव (प्रशिक्षक ताइक्वांडो) इंडस पब्लिक स्कूल ने कहा कि मार्सल आर्ट ,ताइक्वांडो एवं जुडो एक ऐसी विद्या है जो विभिन्न परिस्थितियों में हमें अपनी रक्षा करना सीखना है। इससे हमारी हिम्मत बढ़ती है तथा लगातार इसके अभ्यास से तंदुरूस्ती एवं फूर्ती बढ़ती है।
आई.पी.एस. के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि सुरक्षा प्रत्येक इंसान के लिए आवश्यक है। और आज की स्थिति को देखते हुए हम सुरक्षा को कतई नजर अंदाज नही कर सकते। सुरक्षा के वैसे तो अनेक रूप है लेकिन शारीरिक सुरक्षा या जिसे हम आत्म सुरक्षा भी कह सकते है अत्यतं आवश्यक है। वर्तमान परिस्थिति में तो यह लड़कियों एवं महिलाओं के लिए तो अत्यंत आवश्यक हो जाता है। लड़कियाँ आत्मरक्षा के गुर सीखकर स्वयं को सुरक्षित वह सहज भी महसूस करती हैं। डॉ संजय गुप्ता ने कहा कि आपको जो भी पसंद हो उसी को चुन लें।वह चाहे खेल हो ।पर 24 घंटे में प्रतिदिन एक वक्त ऐसा निकले जब आप जी भरकर खेल सकें। बस किसी एक खेल को अपने जीवन में शामिल कर लें तो बीमारियां और आलस्य आपके शरीर में कभी जगह नहीं बना पाएंगे ।और वही खेल भविष्य में आपके करियर की ऊंचाइयों पर पहुंचाएगा। खेल हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है जब तक बड़े होकर स्वयं नहीं खेलेंगे तो फिर भला बच्चों के मन में खेलों से जुड़ने के प्रेरणा कहां से आएगी? खेल को हमें निश्चित रूप से अपने दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा आउटडोर गेम्स को हम अपनी जिंदगी में शामिल करें जिससे हमारा शारीरिक व मानसिक विकास समानांतर रूप से होता रहे।
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