प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से जिस विश्वकर्मा योजना की बात बताई थी, बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने उसे मंजूरी भी दे दी है। यह योजना 13,000 करोड़ रुपए की बजटीय सहायता से 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर लॉन्च की जाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि इस योजना का लाभ देश के करीब 30 लाख कारीगर और शिल्पकार परिवारों को मिलेगा। इससे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बहुत ज्यादा मजबूती मिलने की संभावना है।
विश्वकर्मा योजना में 18 पारंपरिक पेशे शामिल
आधिकारिक बयान के मुताबिक विश्वकर्मा योजना के दायरे में शुरू में 18 पारंपरिक कारोबार को शामिल किया जाएगा। इसके मुताबिक, ‘इस योजना का उद्देश्य अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों की ओर से पारंपरिक कौशल के ‘गुरु-शिष्य परंपरा’ या परिवार-आधारित हुनर को और अधिक मजबूत और पोषित करना है।’
किन लोगों को मिलेगा इसका फायदा?
इस योजना का लाभ पारंपरिक और पारिवारिक हुनर में माहिर जिन 18 तरह के पेशेवरों को शामिल किया गया है, उनमें बढ़ई, नाव बनाने वाले, लोहार, ताला-चाबी बनाने वाले, मिट्टी का काम करने वाले कुम्हार, सोने का काम करने वाले सुनार, नाई, दर्जी, राजमिस्त्री, चमड़े का काम करने वाले चर्मकार, फूल-माला बनाने वाले, बांस की टोकड़ी, झाड़ू, खिलौने बनाने वाले, धोबी, मछली का जाल बुनने वाले, औजार बनाने वाले और मूर्तिकारों का नाम लिया जा सकता है। ये सारे लोग गुरु-शिष्य परंपरा की तरह पीढ़ी-दर-पीढ़ी पारंपरिक हुनर को सीखते हुए आगे बढ़ते आ रहे हैं।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ी भूमिका- अश्विनी वैष्णव
अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि ‘इस तरह से बहुत सारी चीजें हैं, जिनकी हमारी रूरल इकोनॉमी, ट्रैडिशनल इकोनॉमी में बहुत बड़ी वैल्यू है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में इनकी आज भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है….उस बड़े वर्ग को एक नया आयाम देने के लिए विश्वकर्मा योजना आज प्रधानमंत्री ने कैबनेट में मंजूर किया है।’
प्रधानमंत्री ने लाल किले से क्या कहा था?
पीएम मोदी ने 15 अगस्त को कहा था, “जो परंपरागत कौशल्य से रहने वाले लोग…. जो औजार से और अपने हाथ से काम करने वाला वर्ग है…. ज्यादातर ओबीसी समुदाय से हैं। हमारे सुथार हों, हमारे सुनार हों, हमारे राजमिस्त्री हों, हमारे कपड़े धोने वाले, काम करने वाले लोग हों, हमारे बाल काटने वाले भाई-बहन परिवार हों……… ऐसे लोगों को एक नई ताकत देने के लिए हम आने वाले महीने में विश्वकर्मा जयंती पर विश्वकर्मा योजना लॉन्च करेंगे।”
विश्वकर्मा योजना की महत्वपूर्ण बातें-
इस योजना में सबसे पहले लोगों के कौशल विकास पर जोर दिया जाएगा। जैसे कि नए प्रकार के टूल्स (औजार), नई डिजाइन डेवलप करने का हुनर, नए बाजार में खपने लायक चीजों पर ध्यान देना। स्किल प्रोग्राम (कौशल कार्यक्रम) दो तरह के होंगे, बेसिक और एडवांस। सबसे खास बात ये है कि इस योजना के तहत कौशल सीखने के दौरान लोगों को 500 रुपए प्रतिदिन स्टाइपेंड भी दिया जाएगा। आधुनिक उपकरण खरीदने के लिए 15,000 रुपए तक की सहायता भी दी जाएगी। इस योजना के तहत पूंजीगत सहायता इसका अगला चरण है। इसके लिए विश्वकर्मा समाज के लोगों को पहले अंश के रूप में 1 लाख रुपए तक का लोन उपलब्ध कराया जाएगा। इसपर अधिकतम 5% की दर से ब्याज लिया जाएगा। यह लोन बहुत ही आसान शर्तों पर दिया जाएगा।
जो लोग लोन का पहला अंश लेकर अपने कारोबार को आगे बढ़ाने में सफल होंगे, उन्हें दूसरे अंश के रूप में 2 लाख रुपए का लोन दिया जाएगा। इस तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक पेशे से जुड़े लोगों को विश्वकर्मा योजना के तहत नया कौशल सीखने का अवसर मिलेगा, नए तरह के औजार और उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे और धंधे को बढ़ाने और चमकाने के लिए सरकार अधिकतम 3 लाख रुपए तक मामूली ब्याज दरों पर ऋण भी मुहैया करवाएगी।
[metaslider id="347522"]